डियर स्वर,
हाँ अब यह 212 है। तुम्हें समझ आ गया है कि मैं क्या कहना चाह रहा हुँ। तुम खुद बहुत समझदार हो। यह मेरा तुम्हें लिखा छठा पत्र है, पर तुमने कभी जवाब दिया, पर मेरी तो आदत बन गई है तुम्हें लिखने की!!!
तुम इन्हें शायद पढ़ती भी हो या नहीं, नामालुम???
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खैर,
आज तुम्हें बता रहा हुँ कि अभी मैं वापस उस पोखर के किनारे जो आम का पेड़ है ना वहाँ गया था। घर पे मन नहीं लग रहा था तो थोड़ी देर के लिये ठंडी हवा में आराम करने की सोची!!!
पर वहाँ बैठकर तो मुझे वो सब पुरानी बातें याद आने लगी।
कैसे हम वहाँ पर एकांत में बैठकर गुफ्तगुं किया करते थे।।।
ओह.....
छोड़ो उन्हें वो तो तुम्हें भी मालुम है पर अभी भी देखो मैं वहाँ अकेला हुँ पर तुम्हें महसूस कर सकता हुँ।।
पता है जब मैं वहाँ बैठा था तो पेड़ पर पत्तों की सरसराहट सी हुई, मुझे लगा कि तुम इन पत्तियों के पीछे से झाँक रही हो, बस पास आने से कतरा रही हो शायद।।।
और फिर इन्हीं पत्तों के बीच कुछ फड़फड़ाने की आवाज आई, तुम्हारे होने का पक्का अहसास हो गया, मगर पता है वो एक चिड़िया थी जो उड़ कर दुसरे पेड़ पर जा बैठी।
तुम भी तो चिड़िया हो।।।
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पोखर की और से बहुत ही ठंडी बयार आ रही होती है, पता है वो पल जब तुम अपनी चुनरी के पल्लु से हवा करती थी, बस वहीं अहसास इस बयार से हो गया।
और वैसे ही आँखों में नींद के झौंके आ गये,
पर यह क्या कोई शायद पंछी शायद पोखर के पानी में नहाकर आया और आम की डाली पर बैठकर पंख झिड़कने लगा, जब अर्द्धनिद्रा में यें छीटें मेरे मुँह पर पड़े तो अचानक युँ लगा तुम अभी नहाकर आई हो अपनी गिली जुल्फों को मेरे मुँह पर लाकर झिड़क दिया हो........
कुछ याद आया.........
आयेगा तो सही.....................
मैं फिर पानी को निहारता हुँ, पंछियों की अठखेलियों से इसमें भँवर पड़ते है, इन भँवर को मैं जीवन के भँवर सा सोचकर कुछ ऊलझन सी महसूस करता हुँ कि आखिर क्या हो रहा है?
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अरे देखो तो!!!!!
यें बकरियों का एक झुंड पानी पीने आया है, हाँ मुझे याद आया, तुम भी तुम्हारे गाँव की उस पहाड़ी के आसपास अपनी बकरियाँ चरा रही होगी,
छोड़कर भी तो नहीं आ सकती..........
मजबूर हो ना तुम......
मगर मैं,
मैं आज भी कहीं भी होऊँ तुम्हें सोचता हुँ, तुम्हें ही जीता हुँ, कभी तो तुम अपनी मजबुरियों से ऊपर ऊठकर सोचोगी!
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अपना ख्याल रखना, खासकर उस उस ऊँगली का जिसे सामने करके तुम स्टाइल मारती थी........ ओय्य्य्य!!!!
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फिलहाल इतना ही........
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तुम्हारे इंतजार में.......
संगीत
©® जाँगीड़ करन KK
14/04/2016... 09:45 am
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