अपने चेहरे से दुपट्टा हटाओ तो जरा,
हमें चाँद का गुरूर तोड़ने दो जरा|
अपनी चाल मस्तानी दिखाओ तो,
बल खाती नदी से कुछ बोलने दो जरा|
इन झील सी आँखों को खोलो तो,
मुझे इनकी गहराई में डुबने दो जरा|
अपनी खुली जुल्फों को भी छितराओ तो,
इन बादलों को भी भ्रम में डालने दो जरा|
यह अपनी पायल की छमछम सुना दो मुझे,
दिल में बसे गीत को बाहर निकालने दो जरा|
ओ चिड़िया अब थोड़ा सा गुनगुना भी दो,
'करन' को तो बस स्वर तेरा ही सुनने दो जरा|
©®jangir karan dc