Showing posts with label मेरा चाँद. Show all posts
Showing posts with label मेरा चाँद. Show all posts

Sunday, 9 August 2015

सुनो तो जरा

अपने चेहरे से दुपट्टा हटाओ तो जरा,
हमें चाँद का गुरूर तोड़ने दो जरा|

अपनी चाल मस्तानी दिखाओ तो,
बल खाती नदी से कुछ बोलने दो जरा|

इन झील सी आँखों को खोलो तो,
मुझे इनकी गहराई में डुबने दो जरा|

अपनी खुली जुल्फों को भी छितराओ तो,
इन बादलों को भी भ्रम में डालने दो जरा|

यह अपनी पायल की छमछम सुना दो मुझे,
दिल में बसे गीत को बाहर निकालने दो जरा|

ओ चिड़िया अब थोड़ा सा गुनगुना भी दो,
'करन' को तो बस स्वर तेरा ही सुनने दो जरा|

©®jangir karan dc

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...