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Wednesday, 8 July 2015

मिलन

चलो खुद को खुद में बसाया जायें,
जिंदगी से कुछ इस तरह भी मिला जायें!
बिन स्वर अधुरा है हर गीत मेरा,
बेसुर ही सही 'करन' पर कुछ तो गुनगुनाया जायें!!
©® karan (08-07-2015)

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...