Monday, 29 May 2017

A letter to swar by music 27

Dear swar,

सबसे पहले तो पुनः बहुत बहुत बधाई,
हमने कहा था ना कि सफलता की राह पर तुम बढ़ते जाओ, मेरा प्रेम तुम्हारा रास्ता नहीं रोकेगा। और तुमने वो कर दिखाया, कमाल है ना।
पर मैं थोड़ा असंतुष्ट हुं, परिणाम आशानुरूप नहीं था, हां, फिर भी बढ़िया तो है।
भगवान से प्रार्थना करता हूं कि आगे भी युहीं सफलता हासिल करते रहो,
और तुम यह कर सकते हो....
चलो यह छोड़ो,
इधर जिंदगी में बहुत उथल पुथल हुई थी अभी, मैं तो हमेशा ही मस्त रहने वाला और सबको अपने जैसा ही अच्छा समझता रहा, मगर कुछ लोग जरूरत से ज्यादा चालाक निकले। मुझे मालूम तो था कि उनकी फितरत शायद सही नहीं होगी पर मैं फैसला नहीं कर पाया कि क्या किया जाएं, हां, अक्सर कभी कभी हम वक्त के उस हिस्से में होते हैं जहां पर जल्दबाजी या किसी और वजह से चूक कर बैठते हैं,
और उन चेहरों पर विश्वास कर देते हैं जिनकी नजरें काली हो, हां इसी चूक की वजह से पता नहीं किसकी काली नजर ने एक काली दीवार खड़ी करी जिसके पार तुम्हें देख पाना बहुत मुश्किल हो रहा है,
और तो और तुम्हारे मन में मेरे लिए भी न जाने क्या क्या विचार भर दिए मालूम नहीं,
तुमने इस बात का अहसास करा दिया मुझे कि तुम उस दिन से बहुत कुछ बदलते जा रहे हो, मगर सुनो,
हां,
पहले यह जान लो कि 28-05-17 को सुबह 9 बजे जो तुम्हारा निर्णय था, वैसे मुझे उसी समय बताते तो मैं तुम्हारे पक्ष के दोनों इंसानों के सामने तुम्हें जवाब देता, मगर तुमने बहुत देर बाद संदेश पहुंचाया,
तो जवाब यहां सुन लो,
हां, तुम तुम्हारी मन मर्जी हो वो करो, मगर मेरी तो अंतिम सांस तक भी जुबान से एक ही बात निकले​गी, "स्वर!! तुम सिर्फ मेरी हो"
शायद तुम जवाब समझ जाओगे।
चलो अभी परेशान मत होओ, बाद में देखते रहेंगे यह तो, अभी तो यह सुनो कि मेरे एक मित्र ने बताया कि तुमने बकरियां चराना छोड़ दिया है,
क्यों?
बकरियों को बेच क्यों दिया?
क्या तुम्हें वो जंगल, वो पथरीले रास्ते, वो कंटीली झाड़ियां, वो आम का पेड़, वो झील का शबनमी किनारा....
कुछ भी याद नहीं आता? क्या तुम्हें मालूम है उन रास्तों पर बैठे पशु 🐦 पक्षी  भी तुम्हें देखने को बैताब है, और आम के पेड़ के नीचे हिरणी का बच्चा तो तुम्हारे गीत के लिए कितना बैकल है कि पानी तक पीने नहीं जाता है,
वो तितलियों का झूंड न जाने किस सुगंध की तलाश में है कि अब किसी भी फूल पर बैठ नहीं रहा, शायद तुमसे कुछ लेना देना है उनका भी,
और रहा मैं,
मैं तुम्हें क्या कहुं,
आम के पेड़ पर लटकते झूलें पर बैठा हुं, मेरी इच्छाओं का कोई औचित्य भी नहीं लगता अब....
मुझे मालूम है कि तुम उधर लौट के नहीं आने वाले हो,
पर एक बात बताओ तुम घर पर पे अकेले कैसे समय काट लेते हो?
तुम्हें जरा सा भी अहसास नहीं होता है कि तुम मुझसे मिलने आ जाओ?
अरे हां!! तुम्हें होगा भी क्यों, तुम तो दूरी ही चाहते हो ना, मगर सुनो पार्टनर,
मैं पहले भी कह चुका हूं और कह रहा हूं,
वो आंगन,
वो झूला,
वो आंखें,
वो डायरी का पन्ना......
सब तुम बिन सुने ही रहने हैं...
हो सके तो लौट आना।


(Edited at 23:00 pm)

लो, यह आंधी और बारिश भी कोई संदेश लेकर आई है, हां, मैंने इन बुंदों के संग कुछ संदेश भेजा है,

शायद तुम इनकी भाषा समझ पाओगे, समझ जाओ तो उस पर विचार करना,

फिलहाल तो सो जाओ, बारिश भी थम गई है अब छम छम छम बंद करो। 😂😂😁

शुभरात्रि


With love yours
Music

©® जांगिड़ करन kk
29_05_2017___21:40PM

2 comments:

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