तुमने
अपनी मजबूरी
के बंधन से
मेरे जज़्बात
तो कब के
बांध दिए
और इधर वक्त
की गर्द
तेरी
तस्वीर को
ढकती जा रही,
मैं मजबूर
करूं भी
तो क्या?
तुम तोड़कर
मजबूरी की
बेड़ियां
आ जाना,
इस गर्द
को
अपने प्रेम से
हटा जाना,
अपनी
चांद सी तस्वीर
फिर मुझको
दिखा जाना.....
©® Jangir Karan kk
16_6_2017__21:00PM
Photo from Google with due thanks
वाह..
ReplyDeleteशानदार..
गज़ब..
बढिया 'छवि' चयन
शुक्रिया जी।।
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