Dear SWAR,
जीत पर तो ठीक है मगर हार पे क्या पहरा लगाना,
चिड़िया चुरा लें ख्वाब जब फिर क्या कोई ख्वाब सजाना।
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जिंदगी की भागदौड़ और वक्त के अलग-अलग रूप, और इसी बीच पानी की बुंदों के पार तुम्हारा चेहरा,
एक आदत सी हो गई है अब.........
दिल में अब कोई खीझ या चिड़चिड़ापन नहीं होता है, ना ही ज्यादा अहसास होता है कि तुम यहां नहीं हो,
बस 💓 दिल के एक कोने में छपी तस्वीर बार बार एक संकेत जरूर करती है कि अब भी तुम मेरी हो.... ठीक उसी तरह जिस तरह चांद आसमान का है, जल धरती का है, पेड़ पौधों का हरापन है, पक्षियों की चहचहाहट है...... एक आदत सी बन गई हो तुम।
तुम्हें यकीन नहीं होगा..... मैं जब भी अचानक से फोन की तरफ देखता हूं तो मुँह से अनायास ही एक आवाज निकलती है कि हां मैं बोल रही हूं। हां, तुम यहीं तो बोला करती थी ना!!
और अब यह केवल भ्रम है, मगर यह भ्रम भी बहुत अच्छा है मेरे लिए और जरूरी भी है.......
क्योंकि.......
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कुछ हकीकतें भ्रम हो तो भी कोई बात नहीं,
प्रेम के पंछी पिंजरे में भी आसमां ढूंढ लेते हैं।
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सुनो जाना,
आसान तो अब भी कुछ नहीं है.... दिन के उजाले में जिंदगी कभी खेत के किसी किनारे से चिढ़ाती है या
पंछियों की चहचहाहट फिर कोई गीत याद दिलाती है,
और रात..... चाँद हो तारे मुझे घेरकर जाने कौनसा राज़ ऊगलवाना चाहते है और कभी कभी अंधेरी रात खुद की तुलना मुझसे कर उदास किये देती है।
तुम जितना सरल समझ रही थी तुम्हें मालूम है कि यह कितना कठिन लग रहा है तुमको भी... बस तुम अपने को मजबूरियों के बांध कर चुपचाप देख रहे हो.....
और हां......
देखो, बाहर यह जो झूठी हंसी है ना तुम्हारी मैं अच्छे से जानता हूं मैं, मन में तुम भी कितना उदास हो।।
और तुमने मुझे देखा है ना.......
कितना हंस लेता हूं मैं दुनिया के सामने.. मगर तन्हाई की अपनी बात है..... इसके अपने मायने होते हैं,
जरा जिंदगी की सच्चाई पर सोचकर मेरी ओर देखना......
कभी तन्हाई में दर्पण को देखना, और झांकना खुद की आंखों में, आंखों के अंदर बसे पानी की गहराई में झांक कर महसूस करना,
इस पानी से बनते बादलों को आंखों में छुपायें रखती हो ना,
इनके बरसने से तुम्हें डर लगता है ना.....
अरे!!!
उधर देखो, बाहर!!!
सावन आया है, वो देखो!!!! बादल पानी बरसा रहे हैं,
देखो ना,
मैं खुद अपनी आंखों का पानी भूलकर इस बारिश को देख रहा हूं,
कहीं भी देखूं,
पानी के उस पार तस्वीर तो तुम्हारी ही देखता हूं।
और
यह पानी की बुंदे जो जमीं पर गिर रही है तेरे पेंजन की छम छम सी लगती है........
और
मैं युहीं बारिश को देखता रहता हूं.........
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किसके हिस्से क्या लिखा है,
मोहब्बत इससे बेपरवाह है....
हमने खुद को जाना है और
दुनिया समझती लापरवाह है.....
और यह फोटो हमने खुद खींचा है अपनी स्कूल में।
With love
Yours
music
©® जांगिड़ करन kk
29_06_2017___16:00PM
Mst..... Y pic... Gjb h
ReplyDeleteशुक्रिया भाई
ReplyDeletegazab..
ReplyDeleteकिसके हिस्से क्या लिखा है,
मोहब्बत इससे बेपरवाह है....
हमने खुद को जाना है और
दुनिया समझती लापरवाह है.....
and picture bhi lajawab hai
ReplyDeleteThanku ji
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