फीके से चांद को दीदार तेरा,
तारों भरी रात को इंतजार तेरा।
फूल खुशबू से भरे हैं मगर,
बगिया में है रुखसार तेरा।
नदी की कल कल कम है क्या,
छम छम पायल से जो करार तेरा।
काजल बिंदिया झूम के गजरा,
कातिलाना है श्रृंगार तेरा।
आंगन खिड़की रसोई सूना करन,
बतला दो कब होगा इकरार तेरा।
©® जांगिड़ करन kk
15_12_2017__21:30PM
फोटो साभार गुगल
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