गौरी तेरे नैन से, ऐसे निकले तीर।
मैं जो आया राह में, मन यह हुआ अधीर।
आओगे जब अँगना, दुँगा नैन बिछाय।
मिलने को बैताब है, दिल भी धड़के नाय।।
तुम बिन तो यह जिंदगी, लगे धधकती आग।
कैसे तुमको बतलायें, तुम बिन सुना फाग।
©®जाँगीड़ करन
फोटो - साभार गुगल
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