Dear swar,
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Happy birthday...
हां, तुम्हारा जन्मदिन भला हम कैसे भूल सकते हैं तुम भी जानती ही हो...
दिल से आज भी एक ही दुआ है कि जहां हो खुश रहो मस्त रहो.......
अब सुनो.......
आज से ठीक 21 साल पहले 20 सितंबर को उन परमात्मा को भी चैन की नींद आई होगी, ऐसा हुआ होगा कि जैसे वो घोड़े बेचकर सो गए....... ओके सॉरी!!
हां,
आज मैं तुम्हें कुछ नहीं कहुंगा बल्कि अपने अतीत को यहां दिखाऊंगा....
हर पत्र से पंक्तियां उठाकर यहां डाल रहा हूं....
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कभी कभी युँ लगता है कि यह जीवन ही बेकार है, पर जब तुम्हारी प्यारी मुस्कान याद आती है तो हर दुख दर्द भूल जाता हुँ। फिर से चलने लगता हुँ समय की गति के साथ। न जानें किन खुशियों की तलाश में चलता हुँ,
बस इतना पता है कि चलता हुँ।(पहला पत्र)
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उस वक्त जब मैं तुम्हें देख रहा था तो मुझे ऐसा लगा कि दो तुम दूर से मुझसे ही मिलने आ रही हो।
मैंने जब तुम्हारे बकरी के बच्चे को पकड़ा तब तक तुम पास आ चुकी थी।
फूली हुई सांस, बिखरी हुई जुल्फें, माथे पर पसीना,बहुत कमाल की लग रही थी ना तुम!
मैं तो बस देखता ही रह गया तुम्हें!!(दुसरा पत्र)
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आज काफी दिनों के बाद मैं अपने खेतों की तरफ गया था। हाँ। वो भी पैदल पैदल। पर फर्क था कि आज मैं अकेला था। इन तन्हा राहों में अकेला जा रहा था । तुम्हारे ही ख्याल में खोया खोया। रास्ते में अचानक कहीं से एक पतंग आई और झाड़ में उलझ गई। और पीछे एक बच्चा दौड़कर आया, कहने लगा कि भैया मेरी पतंग छुड़ा दो ना! पता है मैनें पतंग उतार दी लेकिन उस दौरान मेरी उंगली में काँटा चुभ गया था और खून की दो बूँद गिर गई।(तीसरा पत्र)
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और तुमने इनबॉक्स में न जाने क्या क्या भेजा है! सारा अंग्रेजी में!!
वह क्या है ना कि मैं हिंदी भाषी हूं। समझ तो आ गया है पर जवाब हम हिंदी में ही देते हैं।
किसी कवि की पंक्ति में संसोधन के साथ यह रहा जवाब----
मैं हिंदी भाषी खत हूं प्रिये,
तुम इंग्लिश का ईमेल प्रिये।
मैं गाँव का सादा सा इंसान,
तुम हो शहरी फिमेल प्रिये।
मुश्किल है अपना मैल प्रिये,
यह प्यार नहीं है खेल प्रिये।। (चौथा पत्र)
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हाँ!! क्या अब भी तुम बालों को बनाने में उतना ही वक्त लगाती हो?
वो हेयर पिन को एक बार मुँह में पकड़कर फिर ही बालों में लगाती हो ना!!
या भूल गई वैसा सबकुछ!!!
हाँ मुझे सब याद है अब भी!!!
स्कूल लेट हो जाना!!
मालुम है ना????
मैं भी कितना पागल हुँ ना क्या क्या लेकर बैठ गया। पर क्या करूँ यार!!याद आ जाते हैं वो दिन।।
बस मैं बैठकर याद करता हुँ उन दिनों को, कितने आँसु बहा दिये पर यें यादें धुँधली ही नहीं होती,
लगता है कि जैसे कल की ही बात हो!!(पांचवां पत्र)
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मैं आज भी कहीं भी होऊँ तुम्हें सोचता हुँ, तुम्हें ही जीता हुँ, कभी तो तुम अपनी मजबुरियों से ऊपर ऊठकर सोचोगी!
।।।।।।
अपना ख्याल रखना, खासकर उस उस ऊँगली का जिसे सामने करके तुम स्टाइल मारती थी........ ओय्य्य्य!!! (छठा पत्र)
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क्या तुम अब भी युहीं अपनी साड़ी के पल्लु को अँगुली में रख कर दाँतों से काटती हो?
ह ह ह ह ह.....
अरे.....
मैं भी ना!!! कितना पागल हुँ.....
अच्छा अपना ख्याल रखना और हाँ खत का जवाब जरूर देना......
तुम्हारे इंतजार में कुछ पंक्तियाँ लिखी है, देखो कैसी बनी है............
जिंदगी की जगह में,
तुम मिली इक बंजारन
कितने मील चलोगे राही,
संग तुम्हारे चलुँ मैं हरदम।।
प्रीत की राहें पकड़ी हमने,
कभी न सोचा क्या होगा?
तुमने हाथ छुड़ाया अपना,
मुश्किल अब चलना होगा!!
मजबुरी में गिरकर तुमने,
किया था ना मुझसे किनारा।
इक आस लिये तुम्हें पुकारे,
वीरान राहों पर बंजारा।।(सातवां पत्र)
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हाँ मैं हर बार की तरह ही तुम्हें यहीं कहता रहा हुँ, और आगे कहुँगा कि हो सकें तो लौट के आ जाओ, हर एक तान तुम बिन अधुरी है, लफ़्ज भी परेशान से है तुम बिन, यह सावन का टपकता पानी भी बहुत चुभता है मुझे तुम बिन, और सुनो क्योंकि मौसम ही ऐसा है कि हर तरफ से तुम्हारे संगीत की ही आवाज आती रहती है तो मैं बेबस ही सही पर खो जाता हुँ इसमें, भरी आँखों से मुस्कुरा लेता हुँ एक बार तो , पर अगले ही पल उदासी छा ही जाती है,
सुनो ना तुम लौट आओ..... (आठवां पत्र)
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अब यहाँ मैं तुम्हारी राधा हुँ, विरहण राधा, तुम मेरे कृष्ण, जानता हुँ कि तुम्हें रुक्मण और भामा मिल जायेगी, पर मैं अब भी तुम्हारी राह ताकता रहता हुँ, कभी तो तुम बाँसुरी की धुन सुनाने आओगे जरूर...
हाँ मगर एक बात का ख्याल रखना, मैं जादुगर नहीं हुँ, ना ही राधा सी नटखट अदायें, चंचलता आदि है। पर मैं तुम्हें दिल से प्रेम करता हुँ, सदैव तेरे संग रहना चाहता हुँ... तुम न जानें क्या सोचती हो... मगर मेरा तो मन करता है कि मैं अभी तुम्हारे शहर आ जाऊँ और तुम्हारे कॉलेज के गेट पर खड़ा रहुँ, बस तुम्हारे आने के इंतजार में। मुझे मालुम है उस दिन तुम कॉलेज नहीं आओगी, तुम अब क्या चाहती हो यह तो नहीं पता मगर एक बात है तुम अब भी महसूस कर लेती हो ना मुझे कि मैं तुम्हारे शहर में आया हुँ। हाँ तो... देखो।। कभी आकर देखो.... हम वापस उस बगिया में जायेंगे जहाँ हम दोनों हो और चिड़िया की चहचाहट!(नवां पत्र)
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तुम जानती हो ना!!! जब तुम आई थी जिंदगी में तो मेरा मन में कितनी उमंग जगी थी, तुमने महसूस किया होगा, मैं खुद को बहुत खुशनसीब समझता था......
तुम्हारे ख्याल में बैठकर लिखता था तुम्हें लफ़्जों में.......
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कि चाँद जमीं पर है तो हैरान आसमाँ है,
अमावस की रात ऊधर भी चाँदनी क्यों है।
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कहीं खुशबुओं से भरे गुलशन से गुजरा हो जैसे,
तेरे महकते हौंठ कोई गुलाब की पंखुड़ी हो जैसे।
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कहीं दूर कोई कान लगायें चुपके से सुन रहा है,
तुम मुझे गीत मोहब्बत का जो सुना रही हो कब से। (दसवां पत्थर)
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तुम होती तो ऐसा होता...... तुम होती तो ऑफिस पहुँचने के कुछ देर बाद ही फोन करती और पुछती कि कैसे हो?
अरे!!! अभी तो तुम्हारे सामने से आया हुँ!! मगर तुम तो तुम हो ना!! तुम्हारा प्यार ही पूछने को मजबूर करता है ना तुम्हें...
और तुम फोन पर एक हिदायत जरूर देती कि खबरदार!!! जो अपने हिस्से का खाना ऑफिस में किसी को खिलाया तो और खिलाना हो तो बोल देना मैं एक्स्ट्रा चपाती रख दुँगी......(ग्यारहवां पत्र)
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खैर... सुनो!! हम भी यहाँ दीपावली की सफाई में जुटे है.. दो तीन दिन से... कहते है कि साफ सफाई अच्छी हो तो लक्ष्मी जी जल्दी आयेंगे.. पर मुझे तुम(सरस्वती पुत्री) चाहिये... और तुम भी वैसे हमें खुश देखकर और साफ सफाई देखकर ही तो आओगी ना...... चलो यह तो मैं बाद में और लिखता हुँ, पहले एक बात सुनो।।।
साफ सफाई के दौरान मुझे एक किताब मिली जिसमें कुछ कहानियाँ है तो उसमें से एक छोटी सी कहानी तुम्हें सुनाता हुँ..
(बारहवां पत्र)
(इसमें लिखी कहानी स्वयं हमने ही लिखी है)
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और सुनो ग्वालिन!!
तुम्हारे उधर अमरूद के पेड़ बहुत है और अब अमरूद पकने शुरू हो गये है, तो तुम जानती हो ना मैं कहने वाला हुँ, हाँ!!!! वहीं.... पिछली बार की तरह।।पिछले साल के तुम्हारे हाथ से तोड़े हुए अमरूदों का स्वाद तो अब भी जहन में, तुम्हें पता है कच्चे क्या और क्या पक्के मैं तो सब के सब चट कर गया!! ह ह ह ह ह ह ह ह ह।।
हाँ यार!!! तुम्हारे हाथ का जादु ही है जो खत से खुशबु आती है, मैं बिन पढ़े यह महसूस कर सकता हुँ कि अंदर क्या लिखा होगा!!
और हाँ हमेशा की तरह ढेर सारा प्यार!! अपना ख्याल रखना।
!!!
तेरी नजर से घायल दिल की दास्ताँ सुुन लें,
दूर तु है दूर मैं भी हवाओं का संदेश सुन लें।
हर आते जाते पल को मेरी निगाहें ताक रही,
कभी तो तु मेरे आँगन आने वाली राह चुन लें।।(तेरहवां पत्र)
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और इस काल्पनिक सत्यता के बीच उसने जब तुम्हें बनाने की कल्पना की तो उस समय उसे शायद चाँद की याद तस्वीर दिमाग में थी, और तुम्हारा चेहरा जो उसने चाँद सा ही बना दिया तो
और जब उसने तुम्हें चाँद सा बना ही दिया तो मेरी कल्पनाओं का भी अपना स्थान बनता है ना!! और तुम्हारे चेहरे पे चमकती हुई बिंदी जैसे कि चाँद का पास में शुक्र ग्रह चमका रहा हो, बस जी करता है कि तुम्हें इस रूप में युँ ही देखता रहुँ.......
और सुनो!! जब वो बादलों की कल्पना करके तुम्हारे केशों का घने काले और बहुत लंबे (हाँ!!! दुसरे भी कहते है यह तो मुझसे) बना सकता है, तो क्यों न मैं मेरी कल्पनाओं का गजरा इनमें लगाऊँ, जब तुम प्रेम की बारिश करो अपनी जुल्फों से तो, मैं भीनी भीनी खुशबु में खो जाऊँ, कि हर पल हर जगह सिर्फ यहीं खुशबु आती रहे।।(चौदहवां पत्र)
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और!!! सुनो कल कमरे में सामान व्यवस्थित कर रहा था तो कुछ ग्रीटिंग कार्ड्स मिलें हैं, करीब 3 साल हो गए हैं तुम्हारे लिए लाया था, लेकिन आज तक उन पर कुछ नहीं लिख पाया, तुमने मौका ही नहीं दिया कि मैं कुछ लिखकर तुम्हें दुँ। हाँ !! बड़े करीने से सजाकर आलमारी में रखें हैं। देखो अगर आकर ले जा सको तो।
और हाँ!!! इनकी एक प्यारी सी तस्वीर खींची है, पत्र के साथ भेज रहा हुँ।(पंद्रहवां पत्र)
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पोस्ट ज्यादा लंबी हो जायेगी इसलिए अब पत्रों की केवल लिंक पोस्ट कर रहा हूं....
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Again happy birthday my love...
With love
Yours
Music
Photo by Karan
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