Tuesday, 3 April 2018

Recall of love

धनुष की प्रत्यंचा को जितना खींचते हैं लक्ष्य उतना ही सटीक और तीव्रता से भेदा जा सकता है, मगर यह भी है प्रत्यंचा को इतना अधिक भी नहीं खींचना चाहिए कि प्रत्यंचा ही टूट जायें.
और यहीं बात रिश्तों में भी लागू होती है,आपका हर बात पर सफाई लेना या देना प्रत्यंचा खींचने जैसा है, बिल्कुल इन बातों से रिश्ता मजबूत होता है, एक दूसरे की परवाह करने की प्रवृत्ति बढ़ती है.
मगर इसकी अपनी कुछ मर्यादाएं होती है.
इसलिए ध्यान रखें.
और किसी की अहमियत उसके न होने पर समझने से बेहतर है कि उसके होने पर ही समझ लें।
एक बात और है...
रिश्ता सिर्फ सच की बुनियाद पर टिक सकता है, झूठ बोलने की आदतें बहुत महंगी साबित होती है जब कभी वह बाहर आ जायें और झूठ को बाहर आना ही है........
इसलिए अपनी अहमियत अगर सामने वाले को समझानी है तो सिर्फ सच बोलिए... और झूठ बोलते ही क्यों?
किस बात का डर अगर आप सही है तो!!
प्रेम के रिश्ते में शंकाओं और किसी तरह की लुकाछिपी की कोई जगह नहीं होती है, सामने वाले का विश्वास कितना है आप पर; इस बात पर गौर कीजिए कभी.... यह नहीं कि आप ज्यादा होशियार है उनसे और जो चाहे कर सकते हैं.. माना कि वो आप पर विश्वास के कारण कुछ नहीं कहते वो या आपको खोने का डर हो, हां डर!! उनके इस डर को उनकी ताकत बनाइये न कि मजबूरी....
फिर अगर आप कुछ छुपाते हैं तो......

1. अगर आप आस्तिक है तो जानते ही होंगे कि आपके कर्मों का परिणाम आपको मिलना है...
2. आप नास्तिक है तो विज्ञान तो मानते होंगे, टेस्ट ट्यूब में जैसा मिश्रण डालेंगे.. परिणाम वैसा ही मिलना है ऐसे ही....
सच+सच= आत्मसंतोष
सच+झूठ= भ्रम
झूठ+झूठ= द्वंद्व
& Final in next post
जिए.
3. अगर आप मेरी तरह आस्तिकता और नास्तिकता के भंवर में उलझे हैं तो....
जो सर्वशक्तिमान है उसके पास या वो खुद 10 अरब मस्तिष्क( एक मस्तिष्क = 35000 सुपर कंप्यूटर) से मिलकर बना हुआ है, आपकी हर पल, हर हलचल की रिकॉर्डिंग करता है वो, हर पल की डिटेल के अकॉर्डिंग अपना next command ऑटोमैटिक जारी करता है...
_KK_

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