#इस_जंगल_में_हम_तीन_शेर
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21-08-2016.....
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जैसे कि उक्त तारीख को मोबाइल में महाशय कोमा में थे, क्योंकि बारिश की चपेट में आ गये थे,इसको वेंटिलेटर पर रखा,
मौसम तो वहीं था धीमी धीमी बारिश, मगर इसकी परवाह किये बिना मैं निकल पड़ा संडे का फंडे बनाने........
12 बजे मैं पहुँचा करेड़ा, Narayan ji के पास, मिलकर तय किया कि कहीं जंगल में चलते है। उनका सजेशन था कि भोजाजी के चलते है वहाँ पर जंगल भी है, हम रवाना हुए बारिश में ही बाइक पर, और रास्ते से Dharmesh ji को भी उठा लिया, हाँ बिना पूर्व सूचना के सीधे घर पहुँच कर साथ लिया तो उठाना ही हुआ।
और फिर तीन शेर चल पड़े एक शेर की तलाश में, क्योंकि हम जहाँ जा रहे थे उसके बारे में कहा जाता है कि वहाँ गुफा में शेर रहता है। हमने पहले देव स्थान पर पहुँच कर धोक लगाई और फिर चल पड़े पैदल गुफा की ओर.......
ऊपर से रिमझिम बारिश जारी थी, इस समय बारिश भी बहुत सुहानी लग रही थी, बिल्कुल कच्ची पगडंडी, चारों तरफ घास और पेड़ पौधे।
और तीन जोड़ी आँखें तलाश कर रही थी कुछ, न डर, न कोई चिंता, बस उमंग कि गुफा तक जाना है। रास्ते में एक तितली नजर आई, Narayan ji उछल पड़े, जैसे बस तितली का शिकार करने आये हो। पर उन्होनें बस निहारा भर और फिर हम आगे बढ़ गये। जंगल में चिड़ियों की चहाहट लगातार हमारा स्वागत किये जा रही थी, और का मालुम नहीं मगर मैं बहुत खुश था इससे। लगभग 500 मीटर चलने के बाद ही एक नीलगाय नजर आई, पानी के नाले के पास, तब हमें लगने लगा कि शायद कुछ न कुछ तो आगे और जरूर मिलेगा।
पहले से ज्यादा सतर्कता के साथ हम आगे बढ़ गये, अब हम नाले के किनारे किनारे चल रहे थे,बारिश की वजह से नाले में पानी आया रहा था, कुछ ही समय में हम वहाँ मुख्य टारगेट तक पहुँच गये ।।
अब वहाँ शुरू हुई गुफा की तलाश....
मगर वहाँ सिर्फ दो कमरे थे, दोनों खाली, हाँ मगर एक कमरे की दीवार में गुफा टाइप कुछ था, हमने मोबाइल टॉर्च से उजाला करके देखा पर वो भी केवल कमरे जैसा ही था हाँ उसे तहखाने के हिसाब से बनाया गया था। और हमें कुछ नहीं मिला वहाँ पर.....
आसपास घास बहुत ही ज्यादा थी मुझे डर था कि कहीं नागराज न मिल जायें अचनाक से।।
खैर वहाँ कुछ देर आराम करके रवाना हुए वापस... अब रास्ता पहचाना था तो जल्दी ही वापस आ गये, पर कुछ भी न मिलने से निराश थे। बारिश ज्यादा होने की वजह से मैनें Dharmesh ji को कहा कि बाइक आप चलायें, क्योंकि शेर से नहीं पर बारिश के छीटों से डर लगता है ना यार।।
बारिश से भीगी तीन आत्मायें Dharmesh ji के घर पहुँचीं, शरीर और कपड़े सुखायें और चाय पी, फिर हमने Dharmesh ji से विदा लिया और निकल पड़े घर को...
हाँ बारिश में घूमने का आनंद आ गया, शायद बचपन में मैं इतना लापरवाह न रहा होऊँगा बारिश में तो.....
हाँ अच्छा ही हुआ कि शेर वेर न मिला वरना यहाँ यह पोस्ट भी कौन लिखता.....
#करन.....
और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Tuesday, 23 August 2016
इस जंगल में हम तीन शेर
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