Saturday, 1 October 2016

मेरे गीत गुनगुनाओगे

सोच लो भला कैसे मुझे भुलाओगे,
पूछेगा कौन था वो क्या बतलाओगे।

मैं  ठहरा आसुँ  तुम्हारी आँख का,
खुद  को तुम  कैसे रूला पाओगे।

जब बढने लगेगी पीर कुछ ज्यादा
तुम भी मेरे ही गीत गुनगुनाओगे।

मैं आकाश सा फैला हुँ हर जगह,
मुझे छोड़ तुम फिर कहाँ जाओगे।

मुझे परवाह नहीं किस्मत की करन,
ख्वाबों में तो अक्सर तुम आओगे।
©® जाँगीड़ करन KK
01/10/2016___6:00AM
फोटो- साभार इंटरनेट

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