कल रात
दरवाजे पर
एक दस्तक हुई,
गहरी नींद में
सोया था मैं
मगर आँख खुल गई.........
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
दरवाजे को
खोला मैंने मगर
कोई चीज नजर नहीं आई,
मैंने सोचा शायद
नींद में युहीं
यह आवाज है आई.......
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
मगर जैसे ही
मैंने
दरवाजे की कुंडी लगाई,
हवा के इक
झौंके सी कोई
कान में फुसफुसाई..........
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
मैं तुम्हारी
हार हुँ
लो मैं आ गई,
मेरी हालत क्या बताऊं
आँखों में
काली छाया छा गई............
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
नींद न जानें कहां गायब
बस चिंता की
लकीरें छाई,
किस गलती की
सजा आज
मैंने यह पाई..................
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
हड़बड़ी में
इतना ही पूछा मैंने
बुलाया नहीं तो क्यों आईं,
बोली वो तमतमाकर
जीत ने
तुम्हें कितनी आवाज लगाई..............
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
लेकिन तुम ठहरे हठी
तुमने उसकी
हर दस्तक ठुकराई,
अब बारी मेरी है
मैं बिन पूछे
इसलिए ही चली आई...............
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
मैं आज से रहुंगी
तुम्हारे मन में
बनके परछाई,
सोच लो बची जिंदगी में
मेरी गुलामी
रास आई.............................
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
आँख से इक बूंद गिरी
उठकर मैंने
हार गले लगाई,
किस्मत का क्या पता
मगर
जीत से ज्यादा हार रास आई.............
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
©® जाँगीड़ करन kk
17/01/2017__8:00 AM
और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Tuesday, 17 January 2017
दस्तक
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Alone boy 31
मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...
-
यादों के उस समंदर से भरके नाव लाया हुँ, जवानी के शहर में बचपन का गाँव लाया हुँ। झाड़ियों में छिपे खरगोश की आहट, कच्चे आमों की वो खट्टी...
-
मुझे युँ आजमाने की कोशिश न कर। अंधेरा बताने की कोशिश न कर।। झर्रे झर्रे से दर्द ही रिसता है यहाँ, मेरे दिल को छलने की कोशिश न क...
-
हर दोपहर जिंदगी जाने कितने ख्वाब बदलती है। ज्यूं सुबह से घटती है परछाई, ख्वाबों की भी किस्मत घटती सी लगती है, दिल में कुछ बैचे...
No comments:
Post a Comment