चाँद थोड़ा मुस्कुराना तो जरा,
रात अंधियारी भगाना तो जरा।
मैं इक स्वप्न हूं जिंदगी का,
तुम नींद में बुलाना तो जरा.....
मैं तरन्नूम की बहती हवा,
जुल्फें तुम लहराना तो जरा...
ओस की इक प्यासी बूंद मैं,
अपने लबों से लगाना तो जरा...
तेरे दिल का ही स्वर हुं मैं,
हौले से गुनुगुनाना तो जरा...
भोर तेरे आँगन की है करन
ओ चिड़िया चहचहाना तो जरा...
©® जाँगीड़ करन KK
29/01/2017___6:00AM
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