Sunday, 8 October 2017

A letter to swar by music 40

Dear swar,
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चांद को तुम ढूंढती रहो आसमां में,
मैं तो तुम्हें देखता हूं मन की नजरों से।
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कुछ बात तो है कि चांद झांक रहा है,
तुम्हें सताने का इरादा उसका भी नहीं।
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बेशक दुरियां जमाने भर की है मगर,
मेरे दिल में बसा चांद आज भी है।।।
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सुनो,
आज मैं तुम्हारे नाम से उन तमाम भारतीय नारियों को अपने पति या प्रेमी की ओर से इस खत के माध्यम से एक संदेश देना चाहता हूं.... संदेश क्या जो मैं अपने आसपास देखता हूं महसूस करता हूं वही सब खत में बयान करने जा रहा हूं....
इस खत में "स्वर" का संबोधन सभी महिलाओं के लिए है और भेजने वाले"संगीत" वो प्रेमी या पति जो वाकई दिल से अपने प्रेम को निभाते हैं......
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सुनो स्वर,
सबसे पहले तो तुम्हें आज करवा चौथ की दिल की अतल गहराई से हार्दिक शुभकामनाएं...
मुझे मालूम है कि तुम मुझसे कितना प्रेम करती हो, इस प्रेम का ऋण शायद मैं नहीं चुका सकता... हां, अपने लफ़्ज़ों में तुम्हें बयां करने की कोशिश कर सकता हूं......
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मुकम्मल मेरा हर एक पल तुमसे हुआ है,
मकान बनाया मैंने पर घर तुमसे हुआ है।
मैं कहीं भटकता फिरता आवारा था शायद,
जिंदगी का सही रास्ता हासिल तुमसे हुआ है।।
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तो सुनो,
एक तो मैं बचपन से ऐसा था कि मुझे यूं लगता था कि मेरा क्या होने वाला है?
मैं जिस तरह से लापरवाह था तो ऐसा लगता कि हर जगह मुझे संभालने के लिए कौन तैयार रहेगा?
जिंदगी की घनी धूप में झुलसते पांवों को नमी कौन देगा?
मैं जब काम पर चला जाऊंगा तो पीछे मेरे बुढ़े मां बाप की देखभाल कौन करेगा?
कौन मेरे परदेश से लौटने का इंतजार करेगा?
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और फिर,
वक्त के इस चक्र में तुमसे मुलाकात हुई!
मुझे अच्छी तरह से याद नहीं कि हम पहली बार कहां मिले? या कब मिलें? रिश्तों के गठबंधन के बाद ही मिलें या पहले?......
पर,
जब भी मिले मन में एक आशंका जरूर थी!
क्या तुम मेरे साथ निभा पाओगी?
क्या तुम्हें मेरी अव्यवस्थित सी जिंदगी रास आयेगी?
क्या तुम मेरे सपनों को समझकर मेरा साथ दे पाओगी?
क्या तुम मेरी जिंदगी के पन्नों पर प्यार का इकरनामा लिख पाओगी?
सारी शंकाओं को मन में लिए.....
जिंदगी के उस मोड़ पर मैंने तुम्हारे साथ आगे के सफर की तैयारी की... शंका हो या न हो चलना तो था।
सुनो जिंदगी,
(हां, तुम जिंदगी बन गई थी कारण तुम खुद ही देख लो आगे)
मगर तुमने आते ही मेरी जिंदगी के हर ख्वाब की राह आसान कर दी, मन की हर शंका का समाधान कर दिया, मैं तो बस सांस लें रहा था तुमने आकर असली मायने में जिंदगी की तरन्नूम बताई।
तुम्हें याद हो न हो मैं बताऊं तुम्हें आकर सबसे पहले तो मेरी अव्यवस्थित सी जिंदगी को सुव्यवस्थित करने का काम किया.....
मेरी दैनिक जीवन की हर एक समस्या को तुमने दूर किया...
सुबह उठने से पहले चाय नाश्ता तैयार करना,
मुझे अच्छी तरह से याद है बाथरूम में गर्म पानी और टॉवेल मेरे पहुंचने से पहले तैयार मिलना,
लंच बॉक्स समय पर तैयार वो इस हिदायत के साथ कि समय पर खा लेना,
शाम को घर पहुंचते ही चाय तैयार,
बैग, ड्रैस जूते सब व्यवस्थित....
और सबसे बड़ी मेरी चिंता थी कि आने वाली लड़की कैसी होगी? क्या मेरे बुढ़े मां बाप को साथ रखने पर राजी होगी?
मगर,
तुमने यह साबित कर दिया कि मेरी शंका निराधार थी!
मैं ऑफिस भी बेफिक्र होकर जाने लगा था.....
उस समय से लेकर आज तक तुमने मेरे और मेरे परिवार के लिए जो किया है ना.....
वाकई.... क्या कहूं अब?
बस तुमने दिल जीत लिया....
और सुनो,
तुम्हारी एक खासियत....
कम से कम डिमांड, तुम्हें मालूम था और अब भी है कि मैं ऑफिस से जो पेमेंट लाता हूं उससे घर कैसे मैनेज करना है? तुमने बताया था शुरू शुरू में कि तुम्हें बचपन से गहनों का बहुत शौक रहा है...
मैं चिंतित था कि तुम्हारी ख्वाहिश कैसे पुरी करूंगा?
पर.....
पर तुमने अपने आपको किस तरह मेरे घर के अनुरूप ढाल लिया...
न कोई एक्स्ट्रा डिमांड.. जो मिला उसी में संतुष्ट..
मैं तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी नहीं कर सका फिर तुम्हारे चेहरे पर हरदम मुस्कान ही रही....
सुनो जान,
इस सबके लिए दिल से थेंकु।
और हां,
जिंदगी के सफर में तुम मेरे लिए जैसे पांवों का मरहम बनकर आई...
मेरे तप्त ललाट पर तुम बर्फ का सेक बनी हर बार ही,
जिंदगी की धूप में छांव की तरह साथ रही हो तुम...
और मैं,
तुम्हें कुछ नहीं दें सका आज तक भी....
बस...
तुम्हारे लिए दो शब्द हर ही,
और आज भी
यहीं कर रहा हूं मैं...
तुम बहुत सुंदर हो...
तुम बहुत अच्छी हो....
.......
तुम आज मेरी लंबी उम्र के लिए व्रत रख रही हो मेरी तो एक प्रार्थना है कि मैं जब रहूं तुम साथ रहो...
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Dil se
Love you Jaan
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With love
Yours
Music(संगीत)

©® जांगिड़ करन kk
08_10_2017__18:00PM

3 comments:

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...