जिंदगी.....
बिलखते बच्चे को
सीने से लिपटाकर
चुप कराती
मां
के फटे आंचल की
दास्तां............
.............
जिंदगी.....
बच्चे को
कंधे पर
बिठाकर कर
घुमाते
पिता के
पैरों की थकान....
.............
जिंदगी......
फिसलते
भाई की खातिर
जोखिम उठाते
इक अपंग
की जान......
..........
जिंदगी......
दरकते
रिश्तों को
घावों से
रोकने का
सिसकता सा
मान.........
......
जिंदगी....
बगैर तेरे
भटकता राही
जैसे
मरूथल के
दरमियान.....
.......
जिंदगी......
जो समझा नहीं
कोई
करन के
कुछ लफ़्ज़ों
में
बहकता सा
इमान.....
.......
©® जांगिड़ करन kk
28_01_2018____18:00PM
और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Sunday, 28 January 2018
जिंदगी तुम से है
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Alone boy 31
मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...
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मुझे युँ आजमाने की कोशिश न कर। अंधेरा बताने की कोशिश न कर।। झर्रे झर्रे से दर्द ही रिसता है यहाँ, मेरे दिल को छलने की कोशिश न क...
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महसूस जो कर लें मुझको तुमने धड़कन देखी है, जिसकी धुन को कान सुन रहे ऐसी करधन देखी है। और जमाने के रिश्तों की बात नहीं मालूम मुझे, जमी...
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हाँ!! मैं अब भी मेरी छत पर बैठा उस खिड़की को निहार रहा हुँ, कि शायद किस पल तुम उससे झाँकने का इरादा कर लो! वैसे देखो ऊपर आसमाँ में चाँद भी अ...
निः शब्द....🙏
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबहुत खूब
हर पंक्ति में जिंदगी का सार