यह दिल मेरा जिसकी तलाश में रहता है,
वो ही न जानें किसकी तलाश में रहता है|
वो देता है जख्म मुझको हरपल युहीं,
फिर वहीं मरहम की तलाश में रहता है|
वो खुद तो न जानें कहाँ ऊलझा हुआ है,
किसी और से मेरी मुलाकात में रहता है|
कोई जाकर के कह दें उनसे हाले दिल मेरा,
दिन रात अब तो उनका ही इंतजार रहता है|
वो समझता नहीं बैचेनी मेरे दिल की 'करन',
यह तो 'स्वर' की जुल्फों में गुमसूम सा रहता है|
©® करन जाँगीड़
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