Sunday, 31 July 2016

A letter to swar by music 8

Dear swar,
.......................
सावन चल रहा है, बारिश हो रही है आजकल, हर तरफ ही आजकल मौसम बहुत ही रोमांटिक मूड वाला दिख रहा है। पानी की बुँदें जब मेरे घर पर टीन के छप्पर पर पड़ती है तो एक मस्त संगीत पैदा करती है, मैं अक्सर सुना करता हुँ इसे, यह संगीत कितनी खुशी देता है किसानों के चेहरे पे, यहीं संगीत प्रेमी जोड़ों को भी बहुत भाता है, मौसम भी ऐसा ही तो होता है इन दिनों, मैं अक्सर देखता हुँ इन जोड़ों को पिकनिक पर जाते हुए, बारिश का आनंद लेते हुए।
कुछ नवविवाहित जोड़ों की पार्टनर जो साथ नहीं है यहाँ वो भी फोन पर अपने जज्बात बयाँ करते दिखते है , पर हाँ मौसम की खुमारी उन पर भी हावी दिखाई देती है, कुल मिलाकर यह मोहब्बत का समय है, जहाँ हर तरफ बस रोमांटिक ही नजर आता है।
और यहाँ गाँव में लोग सुबह ही सुबह खेत पर काम के लिये निकल पड़ते है अब और बाद में जब खाना लेकर उनकी घरवाली उनके लिये खाना लेकर जाती है ना तो नजारा देखने लायक होता है, जैसे लगता है कि कोई फिल्मी सीन दिख रहा हो सामने, पुरा परिवार एक साथ बैठकर खाना खाता है, और सुनो!! वो पति पत्नी उस काम के समय भी इतने खुश दिखते है, कि पुछो मत। पुरे घरवालों के सामने वो खाना खाते वक्त ऐसे नजरों नजरों में बात करते है जैसे कि पहली मुलाकात कर रहे हो, जानती हो यह नजारा देखने लायक होता है।
और अब सुनो!!!
मैं यह सब देख कर उदास भी तो हो जाता हुँ, इतना उदास कि न जानें क्या सोच रहा होता हुँ पता नहीं चलता।
जब से तुम गये (बदले) हो तब से हर सावन यहीं तो करता रहा हुँ मैं, जहाँ हर तरफ लोग खुश नजर आते है वहीं मैं तुम्हारी यादों के साथ ही कुछ पल कुछ हो रह लेने का नाटक भर कर लेता हुँ, हाँ हर एक हारा हुआ प्रेमी यहीं तो करता है, बाहर सबको कहता है कि यादों के साथ खुश है वो मगर उसके दिल में बसें दर्द को कोई देख नहीं पाता, नहीं देख पाता....
हाँ मैं हर बार की तरह ही तुम्हें यहीं कहता रहा हुँ, और आगे कहुँगा कि हो सकें तो लौट के आ जाओ, हर एक तान तुम बिन अधुरी है, लफ़्ज भी परेशान से है तुम बिन, यह सावन का टपकता पानी भी बहुत चुभता है मुझे तुम बिन, और सुनो क्योंकि मौसम ही ऐसा है कि हर तरफ से तुम्हारे संगीत की ही आवाज आती रहती है तो मैं बेबस ही सही पर खो जाता हुँ इसमें, भरी आँखों से मुस्कुरा लेता हुँ एक बार तो , पर अगले ही पल उदासी छा ही जाती है,
सुनो ना तुम लौट आओ.....

जब तुमको न आना था तो क्यों यह सावन आया है,
रहना है युहीं तन्हा तो क्यों चिड़ियों का कलरव लाया है।
कैसी जिंदगी है क्यों है यह बेबसी का आलम यहाँ पे,
कभी समझ आयेगा बस ये ही मैनें दिल को समझाया है।।

In your love
Music

..........
©® जाँगीड़ करन kk
31/07/2016_03:02 am (midnight)

No comments:

Post a Comment

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...