Saturday, 22 July 2017

A letter to swar by music 31

Dear swar,
...........................
"जिंदगी कुछ हद तक हैरान हैं,
किस्मत का जाने कैसा पैगाम है।
राहें कौनसी थी क्षआज करन की,
तुमसे मुलाकात ही मगर अंजाम है।।
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शुक्रिया इस मुलाकात का। मुलाकात बहुत छोटी सी थी मगर दिल को काफी दिनों बाद थोड़ा सुकून मिला। मगर पता नहीं क्यों पर मैं जानता हूं कि इन सबका कोई मतलब नहीं है फिर भी दिल कहता है कि तुमसे युही मुलाकात होती रहे।
कभी कभी तुम सामने ऐसे ही आ जाओ तो मैं बेफिक्र जी सकता हूं। हां, मैं तुम्हें तंग नहीं करूंगा।
कल जिद थोड़ी ज्यादा हो गई ना!!! हां, उसके लिए सॉरी।
सॉरी तो क्या?
तुम वैसे भी बहुत अकड़ु हो?
इतना कहने के बाद तैयार हुई.... भला इतना भी कोई गरज करवाता है।
खैर! टेबल नंबर १ याद रहेगी अब। हालांकि दिन में कितने ही लोग उसी जगह बैठकर आइस्क्रीम खाते होंगे.. पर मैं,
मैं अब जब भी वहां जाऊंगा तो वहीं टेबल ढूंढूंगा, हां,
नाखून से वहां तुम्हारे सामने ही तो मैंने तुम्हारा नाम लिखा था ना...उस टेबल का अब मुझसे विशेष रिश्ता सा बन गया है, मेरे एहसास जुड़ गए हैं अब.....
बाकी मैं जानता हूं तुम्हारे पास वक्त नहीं है, जरा सा भी नहीं, कल भी कितनी जल्दी में थी। हां, मालूम है हमें..... काम बहुत है ना.......
मगर अब सुनो.......
लापरवाही की महारानी!! हां, मौसम सुहाना है, तुम कह रही हो, मुझे भी मालूम है, रिमझिम बारिश का मजा, सड़क पर भरे पानी में उछल कूद करने का मजा.... हां, बहुत अच्छा लगता है......
मगर तुम्हारी लापरवाही की हद है.... बारिश में भीगने को कौन बोला? अबे!! काम करना है तो जब आसमान साफ हो तब कर दिया करो ना... और बारिश के पानी में ज्यादा उछल कूद क्यों?
.......
और अब जब सिर, गला, नाक सब तुम्हें परेशान कर रहे तो....... उसका क्या।
और भाड़ में जाए स्कूल भी!!!!
बस तुम अपना ख्याल रखो, अपने प्रति लापरवाही मत करो बस......
और अब तुम्हें रोना आ रहा है.... 2 सुई लगाई ना? और ऊपर से कड़वी कड़वी टेबलेट.... पर अब मैं भी क्या करूं?
हां..... तुम यहां आओ तो मैं थोड़ा सर दबा दूं, आओ तो तुम्हारे ललाट पर थोड़ी बाम भी मल दूं..... मगर तुम कहां मानने वाली हो...
वैसे आज सुई के दर्द से तुम्हें भी थोड़ी अक्ल आ जायेगी, आगे से तुम ऐसी लापरवाही नहीं करोगी, नहीं करोगी ना!!!!
और सुनो idiot,
अब जैसा डॉक्टर ने कहा वैसा ही कर और कुछ खाया पीया कर!! क्या हाल बना रखा है अपना। चेहरा भी उतरा हुआ, पैरों में जैसे जान नहीं, शरीर जैसे कि ढाँचा मात्र.... और यह उदासी? क्यों?
खैर सुनो,
तुम अब भी उतनी ही सुन्दर हो, जितना कि चौदहवीं का चांद होता है, नजरों में आज भी उतनी ही शरारत जितनी मैंने देखनी चाही थी और इस बारिश में भीगी हुई जूल्फें!!! कमाल!! कमाल क्या कोई जवाब नहीं तुम्हारा। दिल तो किया कि उसी वक्त इन जूल्फों को खोलकर छितरा दूं और आसमां में छायें बादलों को कहूं कि देखो मेरे पास तेरे जैसे घनी काली घटाएं है, मगर कुछ सोचकर रुक गया कि यहां बाजार में लोग क्या कहेंगे।
अरे हां!!! याद आया... तुमने हेयर पिन भी वही लगाया... वहीं आसमानी रंग का.. तुम्हें मालूम था ना कि मुझे यह रंग बहुत पसंद हैं इसलिए आज तुम जानबूझकर वहीं लगाकर आई हो...............
और तुमने गौर किया या नहीं.... मेरे टी-शर्ट पर कल भी वही दो पेन लगे थे। हां मेरी जान....... ये गुलाबी और आसमानी पेन हमेशा ही साथ रहते हैं... मैं इन्हें कभी दूर नहीं करता, कभी भी नहीं..... तुम कभी भी देख सकती हो यह शर्ट की जेब में मिलेंगे.....
हां तुम्हारी अमानत है ना.....
और सुनो जान,
तुमने सामने हो तो आइस्क्रीम का स्वाद भी... खुद ही सोच लो न अब तुम ही.....
मेरा अनुभव तो कहता हूं कि जुकाम का सही इलाज आइस्क्रीम ही है...... हां!!! अब तुम मुझे idiot कहोगी, कोई ना.....
मगर गौर करो.....
मुझसे बड़ी idiot तो तुम हो.......
और महारानी सुनो, लापरवाही मत किया करो.......
............
"परेशान मोहब्बत तुम्हें परेशान क्यों देखें,
वक्त की चक्की में पिसता इंसान क्यों देखें।
तुम खैरियत से रहा करो ना साहिबा मेरी,
करन हर पल ही तुम्हें हैरान क्यों देखें।।
............
मालूम है मुझे..... तुमसे मुलाकात का अब कोई भरोसा नहीं.... क्योंकि तुम यह चाहती भी नहीं...... मगर एक ही निवेदन है... मौका मिलें तो कोशिश जरूर करना...
हां.... अपना ख्याल रखना....... CCTV को हमारा स्नेह रहेगा!!!

और अंत में यही कहना चाहूंगा.....
"जग तो भरा हुआ भावों से दास्तां यह पुरानी है,
आदत कैसे पीछा छोड़े मोहब्बत की कहानी है।
खोया खोया करन खुद में सब तेरी मेहरबानी है,
मैं तो तेरा दीवाना जैसे मीरा कृष्ण की दीवानी है।।
...........

With love
Yours
Music

©® Karan DC KK
21_07_2017__6:00AM

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