यह मेरे घर के बाहर पायल की झंकार कैसी??
क्या!!! तुम हो!!
क्यों आई हो अब?
तुमने ही तो कहाँ था,
अब तुम्हारे नही है हम!
हाँ फिर भी मैनें तुम्हारा ही इंतजार किया,
आज भी तुम्हारे ही इंतजार में हुँ,
पर जानती हो,
वो समय अब निकल गया!
मैनें कहाँ था तुमसे,
समय रहते लौट आना,
पर तुमने अपनी मजबुरियाँ आगे कर दी,
और अब आई हो!!
नहीं अब रहने भी दो,
यह पायल कि आवाज!
मेरा दिल जलता है इससे!!
घर सुना सुना सा है तुम बिन,
लेकिन अब यह सुनापन भी
ज्यादा अखरता नही है!
हाँ तुम तो खुश हो ना
अपने संसार में!
मैं भी अब ज्यादा उदास नही रहता हुँ,
कभी कभी जब शाम को अकेले में बैठता हुँ,
तो याद आ जाता है वो पल,
हाँ वही पल,
तुमने ही रोका था मेरा रास्ता,
अपनी पायल की झंकार से!
इसी झंकार को सुनते रहने की चाह में,
मैं तुम्हारा इंतजार करता रहा!!
लेकिन तुम्हारे आने की कोई सूरत दिखाई नहीं दी,
मेरी आँखों में भी धीरे धीरे धुंधलापन छाने लगा!!
अब फिर से,
पायल की झंकार!!
नहीं रहने दो अब,
जाओ प्लीज अपनी दुनियाँ में लौट जाओ,
मैं तन्हा था, तन्हा ही जी लुँगा!!
©® karan dc 17-7-2015
और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Friday, 17 July 2015
इंतजार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Alone boy 31
मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...
-
यादों के उस समंदर से भरके नाव लाया हुँ, जवानी के शहर में बचपन का गाँव लाया हुँ। झाड़ियों में छिपे खरगोश की आहट, कच्चे आमों की वो खट्टी...
-
महसूस जो कर लें मुझको तुमने धड़कन देखी है, जिसकी धुन को कान सुन रहे ऐसी करधन देखी है। और जमाने के रिश्तों की बात नहीं मालूम मुझे, जमी...
-
मुझे युँ आजमाने की कोशिश न कर। अंधेरा बताने की कोशिश न कर।। झर्रे झर्रे से दर्द ही रिसता है यहाँ, मेरे दिल को छलने की कोशिश न क...
No comments:
Post a Comment