और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
पत्थरों पर फूल उगाने चला हुँ आज, यह सुरज भी मुझे जलाने चला है आज! बादलों की आस है ही नही मेरे दिल में, मैं 'स्वर' जुनुन का ले निकल पड़ा हुँ आज!! ©®karan dc
मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...
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