Thursday, 9 February 2017

खुरदरे हाथ

आज  न सही  कल  तो  होगी ना,
अनजाने में मुलाकात तो होगी ना।

कुछ आसान तो नहीं जिंदगी अपनी,
मगर  वक्त की सौगात तो  होगी ना।

अंधेरे में झुर्रियां लड़खड़ा जाती है,
लाठी के सहारे की बात तो होगी ना।

सफर  की  धूप  से  सफेद  बालों को,
खुरदरे हाथों की नरमाहट तो होगी ना।

जग कहता है सब कुछ भ्रम है करन,
रूबरू न सही तेरी आवाज़ तो होगी ना।
©® जाँगिड़ करन KK
05/02/2017__05:00AM

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