Monday, 6 February 2017

A letter to swar by music 20

Dear SWAR,
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"इक सफर में न साथ तुम्हारा है,
चौराहे पे बैठा मैं क्या सोचुँ भला"
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तो सुनो,
युं तो अब सर्दी ने भी सताना कुछ कम कर किया है, मगर अब भी सुबह सुबह की धूप अच्छी लगती है। तो बस युहीं बैठ गया मैं धूप में चौराहे पर और मन में न जानें क्या क्या ख्याल उमड़ पड़े और मैं उन्हीं ख्यालों को तुम तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा हुँ... और तुम्हें मालुम हो कि मैं इस धूप में कोई 3 घंटे बैठा रहा, पता नहीं क्यों?
धूप भी तेज हो चली थी मगर मैं तेरे ही ख्यालों में ही खोया, और धूप की परवाह किए बिना बैठा ही रहा..... और ख्याल भी क्या आने है तुम भी जानती हो... वहीं जिंदगी, वहीं सफर.......
"सफर की धूप में सफेद होते बालों को,
खुरदरे हाथों की जरूरत तो होगी ना......"
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बहरहाल.....
बसंत ने आगमन संदेश दिया है, पेड़ों पर नई नई कौपलें फूट रही है, जैसे कि पेड़ नहा धोकर नये वस्त्र धारण कर रहे हो,
इस बेईमान मौसम की नजाकत कुछ ऐसी कि हर एक को बैचेन किये देती है, इन दिनों मन का मयूरा न किस भाँति आनंदित होकर नाचता है..... और देखो ना!! ऊधर सरसों के फूल देखकर मन में न जानें कल्पनाओं के कौन कौनसे फूल खिलते है न जानें।
अरे हां!!! आजकल चिड़ियाओं का कलरव भी बढ़ गया है, इस कलरव से कानों को तुम्हारी आवाज़ का अहसास होता है, मैं हर रोज यह आवाजें सुनता हूं।।
हां!!!!! एक तो यह मौसम बेईमान ऊपर से तुम्हारी वो अदायें, मेरी आकांक्षाओं का समंदर उफान मारेगा ही ना.... और तुम बोलती हो कि तुम्हें कोई काम नहीं है क्या!!
हद है यार!!!!! एक बारगी सोचो तो सही....
खैर!!! यह छोड़ो,
तुम्हारी लापरवाही का क्या करें अब??
शायद,
चलने में तकलीफ हो रही है ना... नजाकत पर थोड़ा कंट्रोल रखना था ना... अब सहो पीड़ा..... वैसे मेरी सहानुभूति पुरी है तुम्हारे साथ.... बाकी तो करे भी क्या?
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"तुम जो शहर की बंदिशों में हो,
हम मिलने भी आयें तो कैसे??"
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बस यही कहना चाहूंगा कि अपना ख्याल रखना, और मेरा ख्याल करते रहना......

"उस झरोखें के परदें को हिला देती हो तुम,
अपने होने का अहसास करा देती हो तुम"
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विशेष प्रयोजन के लिए हमारी तरफ से शुभकामनाएं, आप अपने उस लक्ष्य में कामयाब हो जाओ यहीं हम भगवान से प्रार्थना करेंगे......
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अगर जिंदगी फिर एक मौका दें दें,
मैं पल वहीं फिर जीना चाहता हुँ.......
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With love
Yours
Music

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