जानता था मैं,
अब भी मानता हुँ,
एक दिन तो
जाना ही था........
मगर कहो,
कैसे मैं
समझाऊं
इस उदास मन को
इसको तो टूट
जाना ही था...........
कितने पल
और बचे हैं,
और बची कितनी
मुलाकातें है,
कभी न कभी
हमको बिछुड़
जाना ही था............
खुश तो
रह लोगे ना,
वक्त की
आगोश में
पल अपने
भर दोगे ना,
हमें तो
युहीं
तड़पकर
रह जाना ही था......
©® जाँगीड़ करन kk
21/02/2017__19:00PM
और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Tuesday, 21 February 2017
विदाई 1
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Alone boy 31
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