दीवारें दिल की रंगों से पूरी अभी पोती ही नहीं।
बिन तुम्हारे कभी इसकी दिवाली होती ही नहीं।।
बेशक मेरी ही आँखों का तो कसूर है यह,
बिन तुम्हारे साथ के ये कभी रोती ही नहीं।
कहाँ गई वो तुम्हारी नाजुक नाजुक सी अदायें,
क्यों क्या अब ख्यालों में मेरे तु खोती ही नहीं।
माना तुम ख्वाब में तो आ ही जाओगे मेरे,
पर ये आँखें है मेरी न जाने क्यों सोती ही नहीं।
हवायें भी हैरान परेशान है आजकल 'करन',
क्यों अब पहले सी खुशबुँ यहाँ होती ही नहीं।
©®जाँगीड़ करन
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