बेशक,
तुम अभी
कई कदम आगे हो
जीत की ओर
अग्रसर
व्याकुल हो
जीतने को
पर
पर मुझे मालुम है
जीत से दो कदम पहले
तुम ठिठक जाओगी
एक पल के लिये
मुड़ के देखोगी मुझे
कितनी दूर खड़ा हुँ
क्यों नहीं दौड़ रहा हुँ
तुम्हारे जहन में
आयेगा एक पल
कि रूक जाऊँ यहीं
मेरे इंतजार में।
पर न जाने क्यों
फिर तुम बढ़ चली
लाइन के उस पार
।
अरे!!
यह क्या!!
अब तुम क्यों हैरान हो?
जीत तो गई ना!
।।
कह तो रहा हुँ
तुमसे
।
पर जानता हुँ
यह भी
हाँ
तुम
हार गई हो।
हार गई हो
मुझसे
हार गई हो खुद से भी।
©® करन जाँगीड़
23/12/2015_3:00 morning
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