धुंधली सी तस्वीर,
धुंधली सी आखें,
कुछ तो दिख रहा है मुझे।
ऊखड़ी हुई साँसें,
बढी हुई धड़कन,
कुछ तो सुनाई दे रहा है मुझे।
एक टुटी हुई आस,
न बुझने वाली प्यास,
कुछ तो अहसास हो रहा है मुझे।
एक उदास सा चाँद,
एक तन्हा सी रात,
कुछ तो खल रहा है मुझे।
एक मासूम सा स्वर,
एक आवारा करन,
कुछ तो इश्क हुआ है मुझे।
©®करन जाँगीड़
28/12/2015_22:40 night
No comments:
Post a Comment