Monday, 26 December 2016

Alone boy 1

#alone_boy

एकांत में
समंदर किनारे बैठकर
एक लड़का सोचता है,
जिंदगी के पिछले पन्नों को।
समंदर की लहरों के
आने जाने की
गति में ढुंढता है...
खुद को,
सपनों को,
हर लहर से
काल के एक खंड की
कल्पना करता है,
और ज्युहीं लहर
वापस जाती है तो
अपने गाल से उस
लहर के निशान को मिटाकर।
चल देता है घर,
सुना है कि वो हँसता बहुत है...
हाँ!!! अब
फिर से कोई सपना बुना है शायद...
कल फिर समंदर किनारे आना है उसे!!
#एकांत_मैं_लड़का

@जाँगीड़ करन

No comments:

Post a Comment

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...