Friday, 16 December 2016

आशीर्वाद

और जैसे ही डॉक्टर ने कहा कि हम कामयाब हुए, यह सुनते ही रमेश बाबु के चेहरे पे अचानक आश्चर्य और खुशी एक साथ आ गई। खुशी तो इस बात की कि बेटा बच गया पर आश्चर्य इस बात का हो रहा था कि पिछले तीन दिन से O- खून के लिये भागादौड़ी की मगर खून नहीं मिला और अब मैं थक हार कर बैठ गया तो अचानक अब खून देने कौन आ गया। रमेश बाबु तुरंत डॉक्टर की तरफ भागे और एक ही प्रश्न किया कि खून कहाँ से आया?
डॉक्टर ने मुख्य दरवाजे की तरफ जाते हुए एक आदमी की तरफ इशारा किया और कहा 'वो लाल शर्ट वाले ने दिया'

रमेश बाबु तुरंत उस आदमी की तरफ दौड़ पड़े और पीछे से पुकारा, 'रूकिये'
वो आदमी जब पीछे मुड़ा तो चेहरा देखकर रमेश बाबु के पैरों तले की जमीन खिसक गई बस मुँह से इतना ही निकला, "तुम!!!!"
'हाँ बाबुजी।।. जब परसों के अखबार में पढ़ा तो बाहर था तुरंत रवाना हो गया, आज पहुँच पाया!! पर अब आप चिंता न करें राजकुमार को कुछ नहीं होगा।।
'मैं तुम्हारे अहसान का कर्ज कैसे चुका पाऊँगा' ,रमेश बाबु बोलें।।
'अरे!! बाबुजी कैसा अहसान!!! मैं तो अपने गुरू के आशीर्वाद की लाज रखने आया हुँ। वो नहीं रहे पर उनका आशीर्वाद आपके बेटे के साथ रहेगा' ,वो युवक अब कुछ टूटती आवाज में बोला।
रमेश बाबु की आँखों में पानी भर आया और वो उस युवक के सामने अपराध के स्वीकार करने की स्थिति में बोलें, 'मुझे माफ कर दो बेटा, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, अगर मैनें बेटे जन्म की पार्टी में तुम्हारे गुरू का अपमान न किया होता तो वो दुनियाँ छोड़ कर नहीं जाते'
युवक ने रमेश बाबु के हाथ पकड़ते हुए कहा, 'अरे!! क्या कर रहे है आप?? हम किन्नर तो हर रोज किसी न किसी से अपमानित होते है और हमारा क्या मान अपमान?? यह तो आप बड़े लोगों का होता है।।
'बस बेटा!! अब तो माफ कर दो' ,रमेश बाबु गिड़गिड़ायें।
युवक ने रमेश बाबु के हाथ जोड़कर जानें की अनुमति माँगी तो रमेश बाबु ने कहा, 'बेटा कुछ लेते..........

उनका वाक्य अधुरा ही रह गया कि बीच में ही युवक बोल पड़ा, 'मैं यहाँ समारोह में नहीं आया!! बाबुजी।। और हम खून नहीं बेचते है,!!! अच्छा चलता हुँ।।।
और वो युवक औझल हो गया।।
रमेश बाबु किंकर्तव्यमूढ़ होकर न जानें कितनी देर खड़े रहें।।
©® जाँगीड़ करन kk

8-12-2016

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