कल
गहरी काली रात में
वो
तन्हा लड़का
बिस्तर पर
देर तक
औंधे मुंह
पड़ा रहा....
न आँखों में
नींद
न मन को
शुकून......
बस बिस्तर की
सलवटों को
घूरता रहा,
शायद
इन सलवटों में कुछ
खो गया है
उसका.......
बस इक
सुगंध के
सिवा
कुछ नहीं मिलना
अब उसे....
मगर वो
फिर भी
ताकता है
सलवटों को........
हाँ.....
तन्हा रात में
वो
करें भी तो
क्या?
©® जाँगीड़ करन kk
27/02/2017___15:00PM
और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Monday, 27 February 2017
Alone boy 7
Saturday, 25 February 2017
Alone boy 6
वो
हर सवेरे
उस झील किनारे
बैठकर
सूरज को
निहारता है,
हाँ,
तन्हा
अकेले
और करता भी क्या?
निहारते निहारते
उसकी आँख से
एक बुँद
पलक पर
आ ठहरती है,
और सूरज की
किरणों से
वहां
इंद्रधनुष सा
दिखता है उसको.....
तब वो
अपनी
जिंदगी के
फीके पड़े
रंगों
को सोचकर
और भी उदास हो जाता है.....
और शायद
यह इंद्रधनुष
उसे अब
अच्छा लगने लगा है,
इसलिए
हर रोज
वो युहीं
झील किनारे........
हाँ...
आखिर तन्हाई में
कहीं तो
रंग
दिखते हैं उसको......
©® जाँगीड़ करन kk
25/02/2017__7:30AM
Friday, 24 February 2017
विदाई 2
यह कोई बात
नहीं
कि तुम हमारे हो जाओ......
पर परेशान
दिल
कि कहीं जो तुम खो जाओ......
सन्नाटे कभी
डराते हैं
कि इनमें तुम
कोई गीत ढूँढ तो पाओ........
नहीं रोकते हम
कदम तुम्हारे
कि मंजिल से
तुम बस मुझे देख तो पाओ.......
©® Karan KK
Tuesday, 21 February 2017
विदाई 1
जानता था मैं,
अब भी मानता हुँ,
एक दिन तो
जाना ही था........
मगर कहो,
कैसे मैं
समझाऊं
इस उदास मन को
इसको तो टूट
जाना ही था...........
कितने पल
और बचे हैं,
और बची कितनी
मुलाकातें है,
कभी न कभी
हमको बिछुड़
जाना ही था............
खुश तो
रह लोगे ना,
वक्त की
आगोश में
पल अपने
भर दोगे ना,
हमें तो
युहीं
तड़पकर
रह जाना ही था......
©® जाँगीड़ करन kk
21/02/2017__19:00PM
Monday, 20 February 2017
Alone boy 5
#Alone_boy_5
कंगन
बिंदिया
काजल
कंघा
कोई शायद
किसी और के
लिये
सज सँवर
रहा है अब.......
जानता था
वो भी
एक दिन
जाना ही है
उसको
रह जायेगा
अकेला ही
वो तब..........
वो खुद भी
लेकर
बैठा है
ये साज
श्रृंगार के
सामान मगर
मगर क्या मालुम था
उसे
यहीं उसको
सतायेंगे
अकेले में जब......
वो तन्हा
अकेले में
बस देख कर
इनको
रोज
अश्रु बहाता है
और सोचता है कि
क्या वो आयेगी फिर
या ये युहीं
उसे
चिड़ाते रहेंगे
अब...........
©® जाँगीड़ करन kk
20/02/2017___6:00AM
Sunday, 19 February 2017
ख्वाबों का गीत
नसों में है दर्द भरा पर मुस्काने आया हुँ,
वक्त तेरे जख्मों को ठेंगा दिखाने आया हुँ।
अक्सर तेरे घावों से पथ का राही घायल है,
अपनी पीड़ा भूलकर मरहम लगाने आया हुँ।
स्वार्थ के बोझ से दब रही दुनियाँ को,
परहित का आज फिर संदेश सुनाने आया हुँ।
जग में नफरत तुम क्यों घोल रहे हो,
भाईचारे की नैया से प्रेम उठाकर लाया हुँ।
बदला बदला सा तो मेरा स्वर है करन,
अपने टूटे ख्वाबों से गीत बनाने आया हुँ।
©® जाँगीड़ करन kk
19/02/2017__11:00AM
Saturday, 18 February 2017
जिंदगी हुँ मैं
हकीकत को बयां करूँ,
किसी चेहरे से मैं न डरूँ,
आईना हुँ मैं, बुरा तो लगना ही है।
......
कितनी बार तोड़ोगे,
क्या फिर साथ छोड़ोगे,
जिंदगी हुँ मैं, ख्वाब तो बुनना ही है।
......
पीछे ही रह जाओगे,
जो तुम केवल निभाओगे,
वक्त हुँ मैं, हर पल तो चलना ही है।
.........
ना तो बादल है कहीं,
मौसम भी है साफ वहीं,
आँख हुँ मैं, बेवजह तो बरसना ही है।
........
तुम न समझोगे,
बस रूसवा करोगे,
धरा हुँ मैं, बोझ तो सब सहना ही है।
..........
शापित है यौवन,
कुपित है मोहन,
हाँ, कर्ण हुँ मैं, प्रत्यंचा को टूटना ही है।
©® जाँगीड़ करन kk
18/02/2017__11:00AM
Tuesday, 14 February 2017
A letter to swar by music 21
Dear SWAR,
Happy valentine's day....
"ये महकते फूल है, ये महकती वादियां,
किसी हँसी चेहरे ने आवाज दी हमको"
............
हां, तुम्हें मालुम होगा ही कि बसंत ऋतु है अभी। सबकुछ यहां महका महका है, आँगन की मिट्टी भी महकती है, रसोई से आ रही पकवानों की खुशबू से यह घर भी महकता है, तुम्हारी याद से मेरे मन का कौना कौना महकता है...
और सुनो!!
तुमने मेरी डायरी को छुआ था आज भी उस डायरी का पन्ना पन्ना महकता है, तुम्हारे अहसास से जीवन का हर क्षण महकता है, तुम्हारे नाम लिखे होने से ग़ज़ल भी महकती है...
और सुनो.....
यह जो बसंत का मौसम है, यह हर एक मन के ख्यालात बदल देता है, सबके मन में इक तरंग सी उठती है, बस प्रेमी प्रेमिका एक दुसरे से मिलने को आतुर रहते हैं, और सब के सब इन महकती वादियों में कहीं खो जाना चाहते हैं, और यह अच्छा भी है....
.......................
"कितने दिन की जिंदगानी है,
कैसे इसे बितानी है।
मोहब्बत की बस राह मिलें,
तो सफल सारी कहानी है।।"
..........................
मगर,
सुनो पार्टनर,
जिंदगी का अपना एक अजीब फलसफा है, यह कब क्या दिखाती है किसी को मालूम नहीं, इस फलसफे में उलझे हम न जानें कहां चलें जाते हैं,
तुम उधर न जानें किस रास्ते पर हो और इधर न जाने में किस राह पर हुँ, बस इस दुनिया की भागदौड़ में दोनों चल रहे है, हां!!!! तुम अपनी मंजिल की ओर हो, और निरंतर चल रहे हो, निश्चित ही मंजिल तक पहुंच जाओगे, यहीं हमारी दुआ भी है.…...
मगर इधर मैं अपनी मंजिल से भटका न जानें किस राह पर हुँ, अब कोई मंजिल नजर नहीं आती.... हर तरफ बस रास्ते ही रास्ते ही रास्ते हैं..... मैं समझ नहीं पा रहा कि किस रास्ते पर जाऊं..... बस इन चौराहों पर इधर उधर भटकता हुँ कि शायद कोई इशारा मिल जाए.... बस तुम्हारे इशारे की फिराक में हुँ, मुझे विश्वास है कि एक दिन तुम जरूर आओगी, जब मैं ठोकर खाकर गिरने को होउँगा तब मुझे सहारा देने जरूर आओगी.....
"दूर कितना चलना है,
क्यों हम यह चिंता करें.....
बस तेरी जुल्फों
की छांव हो,
जिंदगी फिर किस
रफ्तार चलें....
बैकल मंजिल,
उदास है उपवन,
खुशबू भरे पदचिह्न
क्यों आज इधर न पड़े....
ख्वाबों का संसार
परिंदों की पहचान,
मगर परों में उलझे,
रिश्तों के धागे पड़े........
अलमस्त फकीरा
करन कहलायें,
स्वर का गायन लेकर निकला,
भटकने से अब कौन डरे.......
.........
और अंत में तुम्हारा शुक्रिया जो तुम मेरी valentine बनी, हां....
मैंने कहा ना मेरी मोहब्बत का अंदाज बस कुछ निराला है........
न जग समझेगा,
न शायद तुम भी,
हम प्रेम की बिन नैया वाली
खिवैया में चलते है.....
.........
With love
Your only
Music
©® जाँगिड़ करन kk
14_02_2017____6:00 AM
Friday, 10 February 2017
Alone boy 4
#alone_boy_4
एकांत में
वो लड़का
बैठा है अपनी
छत पर
चाँद को
निहार रहा शायद
और चाँद भी
आज पुर्णिमा का
अपनी पुरी छटा
बिखेर रहा,
वो लड़का
चाँद को देखकर
मुस्कुरा देता है,
कुछ पल के लिए
मगर अचानक
फिर
उसके चेहरे पे
इक उदासी सी
छा जाती है,
ना.....
यह उदासी
उसके अकेलेपन की
नहीं,
अकेलेपन में तो
उसने जीना
सीख लिया है,
यह उदासी तो
चाँद के लिए है
कि चांँद
को
धीरे धीरे
अंधेरा लील जायेगा,
काली अमावस की
रात
चाँद कितना उदास
होगा........
मगर इस उदासी का
भी
इक अंत है,
फिर पुर्णिमा आयेगी......
...........
एकांत में लड़का
चाँद की
किस्मत से
खुश है,
अब उसने जीने
का
नया तरीका
सीख लिया है.......
किसी की खुशी
में
खुश रहना..........
.........................
©® जाँगीड़ करन kk
10/02/2017___22:00PM
Thursday, 9 February 2017
खुरदरे हाथ
आज न सही कल तो होगी ना,
अनजाने में मुलाकात तो होगी ना।
कुछ आसान तो नहीं जिंदगी अपनी,
मगर वक्त की सौगात तो होगी ना।
अंधेरे में झुर्रियां लड़खड़ा जाती है,
लाठी के सहारे की बात तो होगी ना।
सफर की धूप से सफेद बालों को,
खुरदरे हाथों की नरमाहट तो होगी ना।
जग कहता है सब कुछ भ्रम है करन,
रूबरू न सही तेरी आवाज़ तो होगी ना।
©® जाँगिड़ करन KK
05/02/2017__05:00AM
Monday, 6 February 2017
A letter to swar by music 20
Dear SWAR,
.............................
"इक सफर में न साथ तुम्हारा है,
चौराहे पे बैठा मैं क्या सोचुँ भला"
...............................
तो सुनो,
युं तो अब सर्दी ने भी सताना कुछ कम कर किया है, मगर अब भी सुबह सुबह की धूप अच्छी लगती है। तो बस युहीं बैठ गया मैं धूप में चौराहे पर और मन में न जानें क्या क्या ख्याल उमड़ पड़े और मैं उन्हीं ख्यालों को तुम तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा हुँ... और तुम्हें मालुम हो कि मैं इस धूप में कोई 3 घंटे बैठा रहा, पता नहीं क्यों?
धूप भी तेज हो चली थी मगर मैं तेरे ही ख्यालों में ही खोया, और धूप की परवाह किए बिना बैठा ही रहा..... और ख्याल भी क्या आने है तुम भी जानती हो... वहीं जिंदगी, वहीं सफर.......
"सफर की धूप में सफेद होते बालों को,
खुरदरे हाथों की जरूरत तो होगी ना......"
........
बहरहाल.....
बसंत ने आगमन संदेश दिया है, पेड़ों पर नई नई कौपलें फूट रही है, जैसे कि पेड़ नहा धोकर नये वस्त्र धारण कर रहे हो,
इस बेईमान मौसम की नजाकत कुछ ऐसी कि हर एक को बैचेन किये देती है, इन दिनों मन का मयूरा न किस भाँति आनंदित होकर नाचता है..... और देखो ना!! ऊधर सरसों के फूल देखकर मन में न जानें कल्पनाओं के कौन कौनसे फूल खिलते है न जानें।
अरे हां!!! आजकल चिड़ियाओं का कलरव भी बढ़ गया है, इस कलरव से कानों को तुम्हारी आवाज़ का अहसास होता है, मैं हर रोज यह आवाजें सुनता हूं।।
हां!!!!! एक तो यह मौसम बेईमान ऊपर से तुम्हारी वो अदायें, मेरी आकांक्षाओं का समंदर उफान मारेगा ही ना.... और तुम बोलती हो कि तुम्हें कोई काम नहीं है क्या!!
हद है यार!!!!! एक बारगी सोचो तो सही....
खैर!!! यह छोड़ो,
तुम्हारी लापरवाही का क्या करें अब??
शायद,
चलने में तकलीफ हो रही है ना... नजाकत पर थोड़ा कंट्रोल रखना था ना... अब सहो पीड़ा..... वैसे मेरी सहानुभूति पुरी है तुम्हारे साथ.... बाकी तो करे भी क्या?
..........
"तुम जो शहर की बंदिशों में हो,
हम मिलने भी आयें तो कैसे??"
..........
बस यही कहना चाहूंगा कि अपना ख्याल रखना, और मेरा ख्याल करते रहना......
"उस झरोखें के परदें को हिला देती हो तुम,
अपने होने का अहसास करा देती हो तुम"
...........
विशेष प्रयोजन के लिए हमारी तरफ से शुभकामनाएं, आप अपने उस लक्ष्य में कामयाब हो जाओ यहीं हम भगवान से प्रार्थना करेंगे......
........................
अगर जिंदगी फिर एक मौका दें दें,
मैं पल वहीं फिर जीना चाहता हुँ.......
..........
With love
Yours
Music
Wednesday, 1 February 2017
सरस्वती वंदना
तु ही माँ वीणापाणी,
तु ही माँ शारदे।।
तेरी शरण में हूं मैया,
जीवन का मुझे सार दें।
तेरा वैभव गा सकुँ मैं,
कंठ में ऐसी झंकार दें।
सारे जग में नाम कमाऊं,
ऐसा मुझे आधार दें।
कोई दुखी रहे नहीं यहां,
खुशियों का संसार दें।
स्वर साधना लें निकला हुँ,
गीत का आकार दें।
#karan
01_02_2017____6:00AM
Alone boy 31
मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...
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यादों के उस समंदर से भरके नाव लाया हुँ, जवानी के शहर में बचपन का गाँव लाया हुँ। झाड़ियों में छिपे खरगोश की आहट, कच्चे आमों की वो खट्टी...
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महसूस जो कर लें मुझको तुमने धड़कन देखी है, जिसकी धुन को कान सुन रहे ऐसी करधन देखी है। और जमाने के रिश्तों की बात नहीं मालूम मुझे, जमी...
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मुझे युँ आजमाने की कोशिश न कर। अंधेरा बताने की कोशिश न कर।। झर्रे झर्रे से दर्द ही रिसता है यहाँ, मेरे दिल को छलने की कोशिश न क...