पर ये तारे,
हां,
देखो तो,
ऊपर आसमान में
उन दो
तारों को
अपनी जगह से
जरा सा भी नहीं हिल रहे
वो दोनों,
कुछ समझ आया,
हां,
दोनों
की नियति में
एक दुसरे से
मिलन शायद
नहीं लिखा है,
मगर दोनों कहीं
दूर भी
नहीं
जाना चाहते,
जानें क्या है
दोनों के मन में,
शायद
उन्हें अब भी
उम्मीद है
कभी वक्त उनके
ख्वाबों को
समझेगा,
पास आने की
कोई राह
मिल
सकती है कभी
न कभी......
आसमान सो
रहा है,
मगर ये दो
तारे
रातभर
जानें क्यों
जागते रहते हैं।
©® जाँगीड़ करन kk
03/04/2017__19:50PM
और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Monday, 3 April 2017
Alone boy 13
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Alone boy 31
मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...
-
मुझे युँ आजमाने की कोशिश न कर। अंधेरा बताने की कोशिश न कर।। झर्रे झर्रे से दर्द ही रिसता है यहाँ, मेरे दिल को छलने की कोशिश न क...
-
महसूस जो कर लें मुझको तुमने धड़कन देखी है, जिसकी धुन को कान सुन रहे ऐसी करधन देखी है। और जमाने के रिश्तों की बात नहीं मालूम मुझे, जमी...
-
हाँ!! मैं अब भी मेरी छत पर बैठा उस खिड़की को निहार रहा हुँ, कि शायद किस पल तुम उससे झाँकने का इरादा कर लो! वैसे देखो ऊपर आसमाँ में चाँद भी अ...
kya baat hai...
ReplyDeleteamazing...