शायर उदास नहीं होते है, वो तो हरपल मुस्काते है।
शायर की डायरी तुम देखो, पन्ने उदास नजर आते है।
कल रात कोई ख्वाब टूटा नींद कहां लिखी शायर को,
चांद तो छुपा है बादल में शायर की उदास रातें है।
सुबह सुबह जानें कोई पुकार रहा था कब से,
शायर को मगर भान कहां बैठाने रिश्ते नाते है।
तुमने देखा था कल भी कैसी आँखें चमक रही थी,
आँखों के छाले में पर रिसती दर्द की बातें है।
लम्हा लम्हा कटता कैसे कोई जाकर पूछलो उससे,
स्वर की याद में शायर के लफ़्ज कुछ बतलाते है।
©® जाँगीड़ करन kk
04/04/2017___15:00PM
aapke pathakh bhi hardam muskurate h
ReplyDeletemuskurate rahiye hamesha ese hi...