Dear SWAR,
अच्छा तो मुझे जिंदगी का ज्ञान नहीं है? यह बात तो कुछ हद तक सही भी है, मगर सुनो!!! जिंदगी का जो ज्ञान मुझे है मेरी खुशी और जीने के लिये काफी है।।
हम इतने भी नादान तो नहीं है, हर चाल को उसके समय से पहले जान लेते है,
और हम शह और मात भी जानते है, बस फर्क इतना हम उस तरह के खेल के मूड में नहीं है जो सब कुछ तबाह करके रख दें,
हाँ.... आपको सिर्फ जीत चाहिए, हर हाल में, मगर हमें ऐसी जीत की कोई आकांक्षा नहीं जो किसी के अरमान कुचल दें या किसी को पैरों तलें रौंद दें.... इससे बेहतर तो यह होगा कि हम अपनी हार ही स्वीकार कर लें, आप भी खुश और हम तो सदा ही यहीं कहते आयें है कि हम हारकर भी अमर होना जानते है........
...........
कि खंजर मेरे सीने में सही,
खंजर मगर टूटा हुआ तो है।
...........
और आप इतने हैरान न होओ, यह हमारी आदत है, जो आप भी जानते हो मगर इससे अनजान बने रहने की कोशिश करने की असफल कोशिश करते हो।
......
खैर ये बातें छोड़ो,
मैं भी किसको समझाने निकला हुँ न जानें?
आप तो मस्त रहो......
हर हाल में जिंदगी को जीने की एक आदत सी बना रहा हुँ मैं। आसान तो नहीं है यह , मगर देखो कभी आकर।
।।।।।
और एक बात जानकर खुशी हुई कि आपके academic exam अच्छे से हो रहे हैं, हम यहीं उम्मीद और दुआ करते है कि बाकी के पेपर भी अच्छे से हो।
हाँ.....
मैंने कहा था ना कि मेरी प्रीत तुम्हारे रास्ते में आड़े नहीं आयेगी, बस आप तो लगे रहो।
।।।।।।
हाँ.... अभी पतझड़ भी चल रहा है, जिंदगी का तो मेरे वैसे भी यहीं हाल रहता है हर मौसम में भी। कभी बहारें इस ओर आती ही नहीं, न यहां अब चिड़िया चहकती है, ना ही झील के ठंडे पानी से गुजरती कोई बयार ही आती है, बस एक शुष्क हवा हर वक्त ही चलती है जो मेरे शरीर के हर हिस्से को चुभती हुई सी प्रतीत होती है, और उस दर्द को सहता हुआ, साथ ही कराहता हुआ, एक सुखे ठूँठ की भाँति बस खड़ा हुँ।
जानें क्यों?
कभी कभी तो मन इतना खिन्न हो जाता है कि सोचता हुँ कि काश एक तेज अंधड़ आयें और उखाड़ ले जायें, मिटा दें मेरे वजूद को।।
जब कोई हरियाली नहीं होनी है यहां तो ठूँठ बने रहकर साँस लेना भी अब दुभर हो गया है,
मगर यह भी वक्त के हाथ में है, मैं तो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता हुँ, बस एकटक आसमान को निहार रहा हुँ कि शायद कोई आस बरस जायें.......
।।।।।
With love
Yours
Music
और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Thursday, 9 March 2017
A letter to swar by music 23
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Alone boy 31
मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...
-
मुझे युँ आजमाने की कोशिश न कर। अंधेरा बताने की कोशिश न कर।। झर्रे झर्रे से दर्द ही रिसता है यहाँ, मेरे दिल को छलने की कोशिश न क...
-
महसूस जो कर लें मुझको तुमने धड़कन देखी है, जिसकी धुन को कान सुन रहे ऐसी करधन देखी है। और जमाने के रिश्तों की बात नहीं मालूम मुझे, जमी...
-
हाँ!! मैं अब भी मेरी छत पर बैठा उस खिड़की को निहार रहा हुँ, कि शायद किस पल तुम उससे झाँकने का इरादा कर लो! वैसे देखो ऊपर आसमाँ में चाँद भी अ...
No comments:
Post a Comment