Friday, 31 March 2017

Alone boy 11

हां,
मैं तन्हा तारा हुँ,
उस चमकीले
तारे को
निहारते हुए ही
अपनी
बची जिंदगी
को जी रहा हुं,
मगर यह क्या
आज उस तारे
की आँख में
आँसु क्यों?
जो मेरे
आंसुओं की
मजाक उड़ाया
करता था कभी,
आज उसके चेहरे का
रंग इतना फीका
क्यों?
उसकी वो
चमक
कहां गई?
या
यह मेरा भ्रम है
उसके मन में
जानें क्या
चल रहा होगा
इस पल,
मैं
तन्हा हुँ
मगर बैचेन भी।

©® जाँगीड़ करन kk
31_03_2017___21:00PM

1 comment:

  1. bahut hi badhiya seeriz he..
    ise 100 tak pahuchane ka paryas kre...

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