Saturday, 18 March 2017

A letter to swar by music 24

Dear SWAR,
सबसे पहले तो उस शानदार स्वागत का दिल से शुक्रिया, और चाय के लिए भी, चाय बनाने वाली जब इतनी खूबसूरत हो तो चाय को तो स्वादिष्ट बनना ही है, अरे हाँ, बाकी सब तो ठीक है मगर तुमने अपनी यें जुल्फें बाँध क्यों रखी है, इन्हें आजाद छोड़ दो, यें आजाद ही अच्छी लगती है, हाँ,
अब देखो आईना,
लग रही हो ना बला की खूबसूरत....
हां,
अब एक कप चाय और लेकर आओ ना, मेरे पास....
वा रहने दो,
अभी लोग मुझे पागल कहेंगे......

Ye khuli hi achi lagti h,
Inhe yu Bandha n karo.
Tumhari julfein h ye,
Inse ghata braaya to karo.

#baawla

मगर यार!!!
मेरे सुबह परीक्षा है, घर जाकर पढ़ना भी है ना,
हाँ यार!! नी तो फैल हो सकता हुँ, इसलिए अब चलते हैं......
............
अब यह तो हो गई वो बात, अब जिंदगी की बात कर लुँ!! हां, मैं जानता हूं तु गैर है मगर युहीं,
कभी कभी मेरे दिल में..........
जानती हो ना मैं बहुत जिद्दी हुँ, वक्त को अपने हाथों से रोक देने तक की जिद है मेरी......
और तो और मैं यह भी जानता हुँ कि मुझे हारना है, मगर मैं खुद ऐसे हार मान लुँ, इतना भी आसान नहीं हुँ.......

"यह वक्त है कि जिद पे अड़ा है,
मालुम तो है इसे भी मेरी आदतें है।"

"आसान नहीं युँ मेरे हिस्से का चाँद लेना,
मैंने वक्त की तरफदारी करना छोड़ दिया है अब।"

हां,
तो मेरी जान,
मेरे इरादों को तुम जानती हो ना, मैं सिर्फ गलत तरीके से जीतना नहीं चाहता, बाकी.....
मेरी जिद अपनी जगह पर कायम है, मैं संघर्ष कर रहा हुँ, खुद से भी, वक्त से भी और उस भाग्य से भी जो मैं नहीं मानता कि यह मेरा भाग्य हो सकता है.......
........
खैर इन बातों को छोड़ो....
हां, तुम्हारा पल भर का साथ अच्छा लगा, और तुम्हें बता कि जब जब मैं तुम्हें देखता हुँ मेरे इरादे और भी मजबूत हुए जाते है......
ओके.....
अपना ख्याल रखना,
और हां,
पेपर अभी बाकी है, यह भी बात ध्यान रखना.....
।।।।
With love
Yours
Music

©® जाँगीड़ करन kk
18_03_2017__20:00PM

No comments:

Post a Comment

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...