Tuesday 30 May 2017

नमक इश्क का

Dear swar,
चार साल बाद आज फिर कान वो आवाज सुनने को बैताब थे, हां प्रिये,
चार साल पहले का वो दिन तुम्हें याद होगा, वहीं जगह, वहीं प्रोग्राम और वही हालात, हां!! कुछ पात्रों की कमी थी आज। आज साथ में सिर्फ गुड़िया ही थी जिसे वो घटना अच्छी तरह याद है...
अब तुम्हें याद दिलाता हूं मैं चार साल पहले की घटना, सराय के पास बैठे​ थे हम सब, और हमारे हिस्से में थी मात्र दाल( हां, प्रिये!! उस वक्त तो लापसी भी खत्म हो गई थी ना, कुछ हलवा वगैरह बनाया जा रहा था फिर), हां हम दाल भी कितने चटकारे से पी रहे थे, और तुम्हें हम पर हंसी आ रही थी। पता था हमें कि दाल में नमक इश्क का कम था हमें तो मालूम नहीं था वो तो तुमने ही कहां था कि करन जी मैं नमक लेकर आऊं?
और बिना मेरा जवाब सुने सरपट भागे और जानें कहां से लें आयें दोना नमक से भरा हुआ और यह क्या अरे! रूको यह काफी है, मगर तुम न रूकने वाली थी। हां, पर दाल का स्वाद जानें क्यों मीठा हो गया और दाल के नाम से घबराने वाला मैं केवल दाल को ही पीने लगा। इधर तुम जानें मुझमें क्या देख रहे थे और उधर दाल में मैं तुमको ही देख रहा था, नमक की जगह अपने प्रेम को मिलाते हुए और जब से फिसला जिंदगी में तो अब तक संभलना नहीं आया और अब तो संभलने का मन भी नहीं करता....
और आज जब चार साल बाद गुड़िया के साथ उसी जगह गया तो जिंदगी खुद ब-खुद यादों की तस्वीर सामने लें आई, आज लापसी(गेहूं के दलिये से बनी हुई) तो थी, हां पुड़ी की थोड़ी सी कमी थी मगर वो हमको महसूस नहीं हुई,
हां, आज भी दाल में नमक कम था मगर मैंने किसी को कहा नहीं लाने के लिए, बस इंतजार करता रहा कि कब आवाज आ जायें, "करन जी! मैं नमक लेकर आऊं"?
30_5_2017__20:30PM

Monday 29 May 2017

A letter to swar by music 27

Dear swar,

सबसे पहले तो पुनः बहुत बहुत बधाई,
हमने कहा था ना कि सफलता की राह पर तुम बढ़ते जाओ, मेरा प्रेम तुम्हारा रास्ता नहीं रोकेगा। और तुमने वो कर दिखाया, कमाल है ना।
पर मैं थोड़ा असंतुष्ट हुं, परिणाम आशानुरूप नहीं था, हां, फिर भी बढ़िया तो है।
भगवान से प्रार्थना करता हूं कि आगे भी युहीं सफलता हासिल करते रहो,
और तुम यह कर सकते हो....
चलो यह छोड़ो,
इधर जिंदगी में बहुत उथल पुथल हुई थी अभी, मैं तो हमेशा ही मस्त रहने वाला और सबको अपने जैसा ही अच्छा समझता रहा, मगर कुछ लोग जरूरत से ज्यादा चालाक निकले। मुझे मालूम तो था कि उनकी फितरत शायद सही नहीं होगी पर मैं फैसला नहीं कर पाया कि क्या किया जाएं, हां, अक्सर कभी कभी हम वक्त के उस हिस्से में होते हैं जहां पर जल्दबाजी या किसी और वजह से चूक कर बैठते हैं,
और उन चेहरों पर विश्वास कर देते हैं जिनकी नजरें काली हो, हां इसी चूक की वजह से पता नहीं किसकी काली नजर ने एक काली दीवार खड़ी करी जिसके पार तुम्हें देख पाना बहुत मुश्किल हो रहा है,
और तो और तुम्हारे मन में मेरे लिए भी न जाने क्या क्या विचार भर दिए मालूम नहीं,
तुमने इस बात का अहसास करा दिया मुझे कि तुम उस दिन से बहुत कुछ बदलते जा रहे हो, मगर सुनो,
हां,
पहले यह जान लो कि 28-05-17 को सुबह 9 बजे जो तुम्हारा निर्णय था, वैसे मुझे उसी समय बताते तो मैं तुम्हारे पक्ष के दोनों इंसानों के सामने तुम्हें जवाब देता, मगर तुमने बहुत देर बाद संदेश पहुंचाया,
तो जवाब यहां सुन लो,
हां, तुम तुम्हारी मन मर्जी हो वो करो, मगर मेरी तो अंतिम सांस तक भी जुबान से एक ही बात निकले​गी, "स्वर!! तुम सिर्फ मेरी हो"
शायद तुम जवाब समझ जाओगे।
चलो अभी परेशान मत होओ, बाद में देखते रहेंगे यह तो, अभी तो यह सुनो कि मेरे एक मित्र ने बताया कि तुमने बकरियां चराना छोड़ दिया है,
क्यों?
बकरियों को बेच क्यों दिया?
क्या तुम्हें वो जंगल, वो पथरीले रास्ते, वो कंटीली झाड़ियां, वो आम का पेड़, वो झील का शबनमी किनारा....
कुछ भी याद नहीं आता? क्या तुम्हें मालूम है उन रास्तों पर बैठे पशु 🐦 पक्षी  भी तुम्हें देखने को बैताब है, और आम के पेड़ के नीचे हिरणी का बच्चा तो तुम्हारे गीत के लिए कितना बैकल है कि पानी तक पीने नहीं जाता है,
वो तितलियों का झूंड न जाने किस सुगंध की तलाश में है कि अब किसी भी फूल पर बैठ नहीं रहा, शायद तुमसे कुछ लेना देना है उनका भी,
और रहा मैं,
मैं तुम्हें क्या कहुं,
आम के पेड़ पर लटकते झूलें पर बैठा हुं, मेरी इच्छाओं का कोई औचित्य भी नहीं लगता अब....
मुझे मालूम है कि तुम उधर लौट के नहीं आने वाले हो,
पर एक बात बताओ तुम घर पर पे अकेले कैसे समय काट लेते हो?
तुम्हें जरा सा भी अहसास नहीं होता है कि तुम मुझसे मिलने आ जाओ?
अरे हां!! तुम्हें होगा भी क्यों, तुम तो दूरी ही चाहते हो ना, मगर सुनो पार्टनर,
मैं पहले भी कह चुका हूं और कह रहा हूं,
वो आंगन,
वो झूला,
वो आंखें,
वो डायरी का पन्ना......
सब तुम बिन सुने ही रहने हैं...
हो सके तो लौट आना।


(Edited at 23:00 pm)

लो, यह आंधी और बारिश भी कोई संदेश लेकर आई है, हां, मैंने इन बुंदों के संग कुछ संदेश भेजा है,

शायद तुम इनकी भाषा समझ पाओगे, समझ जाओ तो उस पर विचार करना,

फिलहाल तो सो जाओ, बारिश भी थम गई है अब छम छम छम बंद करो। 😂😂😁

शुभरात्रि


With love yours
Music

©® जांगिड़ करन kk
29_05_2017___21:40PM

Friday 26 May 2017

दिल्ली वाली गर्लफ्रेंड

#आया_दिल्ली_वाली_गर्लफ्रेंड_छोड़_छाड़_के....
हां! तकरीबन चार साल पहले यह गाना सुनने में बहुत अच्छा लगता था, और इसका विडियो तब से आज तक है मेरे मोबाइल में, पर साल भर में शायद नहीं सुना है। अब सुनने का मन भी करता। हां, तुम्हारा सबसे पसंदीदा डांसिंग सोंग था और शायद आज भी यही हो, और जब जब मुझे तुम्हें चिढ़ाना होता तो मैं कॉल पर यह गाना बजा दिया करता था और मैं जब इसे सुनता अकेले में तो मुझे युं लगता कि यह गाना मॉडर्न न होकर क्लासिकल टाइप का है, जिसमें नायक ने अपने मन के भावों को अच्छे से उकेरने का प्रयास किया है.....
मगर वक्त की कुछ साजिशों ने मेरे मन और मस्तिष्क के भावों को बदलने पर मजबूर कर दिया और मैं फिर जो सुनने लगा वो थे, "कभी कभी मेरे दिल में", "हम तेरे शहर में आये है मुसाफ़िर की तरह, "आजा रे आजा रे ओ मेरे दिलबर आजा".... हां, यहीं सुनने पर मजबूर था....
मगर आज,
मगर आज एक गांव गया था सुबह ही, वहां मैं बैठा था, टीवी पर बच्चे कार्टून देख रहे थे, बीच में जब विज्ञापन आया तो चैनल बदलते ही गाना चल गया, "दिल्ली वाली गर्लफ्रेंड छोड़ छाड़ के"
पता नहीं किस गति से पर मन झट से चार साल पीछे भाग गया, वो डांस देख रहे थे मगर मैं तुमको....
😘😍😍😍😘😍😍😍
#thank_you_kids
#thank_you_9xm

Saturday 6 May 2017

A letter to swar by music 26

Dear swar,
चंद दिनों की जिंदगी है,
मालुम तुमको भी है,
मालुम हमको भी है,
मगर
जानें क्या हो गया है,
न जानें क्यों,
समय कुछ थम सा
गया लगता है,
खैर,
जो भी हो,
मगर आस अब भी है,
वक्त को
पंख लगेंगे,
जब जिंदगी मेरे
पास होगी........
हां, उम्मीद पे तो दुनिया
कायम है।
।।।।।।।।।।।।।।।।।
तो देखो,
पिछले दिनों की बात है, तुम्हें याद न हो तो मैं बता दूं वो 1 दिसंबर, 2016 था, तुमने कोई गलती की थी, हां, गलती अच्छी थी,और इस गलती के बाद तो तुमने मेरी जिंदगी में फिर से हलचल ही मचा दी थी, हर दिन का हरपल जैसे तेरी जुस्तजु में गुजरता था, मन में कोई तरंग हरदम ही हिलौरें ले रही थी, जिंदगी जैसे जन्नत का अहसास करा रही थी,
तुम्हें याद नहीं है क्या?
दिन के 24 घंटे तुम मुझे बताती थी,
अरे बताओ ना आज कौनसी ड्रेस पहनुँ?
कौनसा गाना सुनुँ?
या
कहो क्या इरादा है?
सब याद है मुझे!!!!
तुम्हारा युँ सीढ़ियों से उतर कर आना,
युँ तिरछी नजरों से देखना,
आज भी आँखों में समाया हुआ है,
एक बात बताओ, यह सब क्या था? मेरी तो समझ से परे थी हर बात, मैं तो बस तुम्हारे ख्यालों​में ही खोया रहा, पता नहीं ही नहीं चला कि वक्त कब हाथ से फिसल गया,
अचानक से तुमने अलविदा कह कर जैसे उस ख्वाब को नींद उड़ाकर तोड़ दिया है,

तुमने जिंदगी के कुछ हसीन सपनों की सैर कराने का इरादा किया था शायद, मगर जाने फिर तुम्हारे दिल ओ दिमाग में क्या सुझा कि वापस चल पड़ी। देखो एक बात मैं तुम्हें हमेशा ही कहता आया हुँ मगर तुम समझती नहीं हो, यह जिंदगी में सिर्फ बाहरी दिखावे में खुश रहना असली खुशी नहीं है, असली खुशी तो तब है ना जब हम मन से खुश रहे।
और तुम.......
हर बार खुद को ही समझ नहीं पाती कि क्या करना है, कभी इधर कभी उधर,
कभी शांत चित्त से सोचकर कोई ठोस निर्णय लो, हां या अपने मन की सुनो......
अगर तब तुम्हें लगे कि मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं हुं तब बेशक तुम मुझे छोड़कर चली जाना...
मैं तुम्हारे इंतज़ार में ही उम्र बिता सकता हूं तब भी.....
।।।
खैर देखो......
तुम जरा बदली नहीं हो, वहीं बदमाशियां वहीं चंचलता,
तुम वही हो जो पहले थी।
मैं अब भी वहीं देखता हूं, झाड़ियों में फुदकता चाँद...
हाँ,
ध्यान रखना....
काँटों का।
.......
#गली_में_आज_चाँद_निकला

जुल्फें ऊलझन में थी
कि बंधी रहे
या खुल के बिखर जायें,
होठों पर कुछ लफ्ज़
नाचते रहे मगर
बाहर आने से थोड़ा
शरमा से रहे थे,
अपनी कलाई का
वो
वहीं अंदाज
लिये
जानें क्या इशारा किये
जाते थे,
कंगन भी खनक
उठा,
जरा आहिस्ते से
हाथ हिलाओ
कि जाग न जाए,
आँखों ने फिर
संसार देखा
आँखों में,
रात को
कोई
ख्वाब में
चाँद
जैसे मुखड़ा लिए
जानें मेरे आँगन में
यह
कौन चला आता है।।।
😍😍😍😍😍😍

@करन kk
5-5-2017__22_00PM

Pic borrowed from Google with due thanks

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...