Tuesday 7 November 2017

सफर जिंदगी का

जिंदगी,
कि जैसे बनाती है
बैलेंस
दो पाटों के बीच....
कि हर कदम पर
रखती है ख्याल
कोई आहत न हो....

जिंदगी,
करती है इंतजार
स्टेशन का
कि कोई खुशी वहां से
चुरा ले
कि अपनी झलक से मुस्कान
बिखेर दें....

जिंदगी,
देखकर सिग्नल बदलती है
अपनी पटरी
हां! मुश्किल है ज़रा,
पर,
उम्मीद पर
खरी उतरती है जिंदगी..

जिंदगी,
कभी कभी युही
रूक जाती है,
किसी और को
जानें का इशारा भर
करती है
जिंदगी.......

जिंदगी,
हर मोड़ पर
अपनी अदाओं से
लहराती
बलखाती
सरपट भागती है
जिंदगी......

जिंदगी,
चलती है धड़धड़ाती सी
बेखोफ
इक मुस्कान लिए
जानती है सफर
बस यहीं पे
आने जाने का है....

जिंदगी,
बस हर स्टेशन
आवाज़ देती है उसको
कि
जैसे वो
इंतजार कर रही हो
उसका....

जिंदगी,
मासूम है,
तपकर भी
जलकर भी
घिसटकर भी चलती है
मगर
चलती है जिंदगी......

©® Karan KK
07/11/2017___9:00AM

Thursday 2 November 2017

a letter to daughter by father

डिअर बिटिया,
कल तुम्हारा ख़त मिला, तब से मन में कुछ बैचेनी सी हो रही है| तुमने यह तो लिखा कि तुम खुश हो मगर साथ ही कुछ सवाल ऐसे किये जो सोचने पे मजबूर कर देते है कि क्या वाकई कही कुछ गलत हुआ है मुझसे ?
ऐसा लगा जैसे मैंने तुम्हे अनसुना किया हो कही पे!मगर सुनो,
में तुम्हे उस समय देख चूका था जब मैंने पहली बार तुम्हारी मम्मी को रूटीन चेकअप के लिए ले गया था और डॉक्टर ने सोनोग्राफी करके कहा कि लड़की है ! डॉक्टर ने यह भी कहा था कि एबॉर्शन कर दूंगा में बहुत कम फीस में, तुम न समझो पर मैंने मेरे उस मित्र डॉक्टर से उस दिन क बाद कभी बात या मुलाकात नहीं की|
में तुम्हे तब से जनता हु जब तुमने अपनी माँ की कौख में पहली दफा अपनी लात मरी थी हा बिटिया मैंने अहसास किया था उस समय भी......
तुम्हे मालूम हो न हो में बता दू जब तुम्हारा जन्म हुआ तब में 5 दिन पहले से ऑफिस नहीं गया था सिर्फ इसलिए कि मुझे तुम्हारे आने का इंतज़ार था|
और तुम्हे बता दू कि तुम्हारे आते ही मैंने सबसे पहले तुम्हे ही गौद में लिया यह भी भूल गया था कि तुम्हारी माँ भी वहा थी जो इस इंतज़ार में थी कि में उससे भी कुछ बात करु, पर में तुम्हारे आने कि ख़ुशी में ही पागल हुए जा रहा था......
और सुनो बिटिया,
जब तुम 1 साल कि थी न उस समय में तुम्हे एक दिन ऑफिस ले गया अपने वहा पे मैंने तुम्हे जब गौद में लिया तब तुमने सुसु कर दी मेरी शर्ट पर, जानती हो पूरा ऑफिस मुझपे हँसा पर में तो बस तुम्हे देखकर मुस्कुरा रहा था.....
तुह्मारी स्कूल के पहले दिन जब में तुम्हे छोड़ने आया तब मैंने टीचर से बस एक ही बात कही थी जब भी इसका मूड न हो या परेशान करे मुझे बुला लेना में लेने आ जाऊंगा|
सुनो बिटिया रानी,
मैंने तुम्हारी हर वो जिद पूरी करने की कोशिश की है जो मुझसे पूरी हो सकी| चाहे वो कपडे लाने हो या स्पोर्ट्स शूज या कही सहेलियों के साथ घुमने जाना था या आगे पढने की, जैसा तुमने कहा वैसा ही किया था मैंने, इन जरूरतों को पूरी करते करते में तुम्हारी मम्मी की सारी जरूरतों को पूरी नहीं कर पाया था| मेरी नोकरी की सेलरी थी ही कितनी जो में और ज्यादा कुछ कर पाता , हां एक बार तो तुम्हारी कॉलेज फीस भरने के लिए तुम्हारी मम्मी ने अपने सोने के कंगन भी बेच दिए थे में वो कंगन वापस नहीं दे पाया हू आज तक भी और तुम्हारी मम्मी ने भी कभी वापस मांगे भी नहीं.........
सुनो,
मैंने हर तरह से तुम्हारी हर इच्छा पूरी करने की कोशिश की है पर अब आज जब तुम्हारी शिकायत पढ़ी तो लगता है कही न कही मेरी ही परवरिश में कोई कमी रह गई है वरना मेरे से इस तरह तुह्मारा विश्वास नहो उठता|
तुम इस तरह अपने पिता को उलाहना नही देती|
लेकिन सुनो,
जिस दिन तुमने फेसबुक चलाना शुरू किया न उसी दिन से में तुमपे नजर रखे हुए हु, तुम्हारी हर गतिविधि पे मेरी नजर रही है, तुम्हारे व्हात्सप्प के सारे मेसेज मेरे पास भी आते है में तुम्हारी हर एक हरकत को बहुत गहरे से देख रहा था,
अब तुम सोच रही होगी कि जब सब मालूम था ही तो फिर मुझसे छुपाया क्यों ?
सब जानते हुए उल्टा क्यों किया ?
हा,
मैंने सबकुछ किया लेकिन में यही कर सकता था उस समय.....
तुम्हे अब क्या बताऊ ?
तुम्हारे relationship with का मैंने बहुत गहराई से पड़ताल करवाई,
सुनो बिटिया ,
तुम उसके घर नहीं गई पर मैंने अपनी तरफ से उसके घर के हालात जानने की कोशिश की है , तुम्हे बता दू कि वहां के हालात ऐसे नहीं है जैसे कि वो तुम्हे सपने दिखाया करता था|
सिर्फ पैसे की बात नहीं है उस घर का माहौल भी ऐसा नहीं था कि में अपनी बेटी को उस घर में भेजने की सोच सकूं|
मैंने हर एंगल से उस फॅमिली को देखा है, तुम कभी वहा खुश नहीं रह पाती| तुम जो यह सोच रही हो कि मैंने सिर्फ अपनी इज्ज़त के लिए ही बड़े परिवार में शादी तुम्हारी शादी करवाई है, लेकिन ऐसा नहीं है एक पिता के भी तो सपने होते है न कि उसकी बिटिया हमेशा सुखी रहे किसी बात की कोई कमी नहीं हो, रानी बनकर रहे बस तुम्हारी ख़ुशी के लिए ही मैंने यह कदम उठाया था........
फिर भी मैंने कोई गलत किया हो तो तुम बिटिया हो मेरी बचपन में भी नाक भी ही लात मारा करती थी और आकर मार दो एक.........
लिखने को बहुत कुछ है पर अभी बस दिल भर्रा गया है और नहीं लिख पाउँगा फिर कभी......
बस यही कहूँगा.....
सबको अपने व्यवहार से खुश रखो तुम्हे भी ख़ुशी मिलेगी.....
तुम्हारी की तरफ से ढेर सारा प्यार,

सस्नेह
तुम्हारे पिता......

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...