Friday 27 March 2020

A letter to swar by music 51

Dear swar,
सबसे पहले तो थैंक्यू बनता ही है, देर से ही सही तुमने मेरे पत्र का जवाब तो दिया, हां मुझे याद है तुम्हें 50वा पत्र मैंने 19 अगस्त 2018 को लिखा था, आज पूरे 575 दिनों बाद उसका जवाब पत्र
प्राप्त हुआ है। खैर तुमने जो पत्र में कारण बताया है वह मुझे अच्छी तरह मालूम है ......तुम्हारी व्यस्तताएं। हां अब तो तुम्हारे काम और भी बढ़ गए होंगे घर, स्कूल, खेत और कभी-कभी कॉलेज भी...... हां पत्र न तुम्हारा तो मन बहुत बेकरार था शायद कैसी होगी?
क्या कर रही होगी?
क्या कुछ खाती भी है या दिन घर पर काम ही काम ।
हाँ, तुम उधर काम में ही व्यस्त रहती हो मगर तुम्हें मालूम तो है मैं बिल्कुल यहां आवारा हूँ, कहीं कोई काम नहीं मुझे मेरा सबसे बड़ा काम है तुम्हारे नंबर बार-बार सेव करके यह चेक करना कि तुमने whatsapp दुबारा चालू कर दिया हो शायद, तुम्हारे नाम को facebook पर बार-बार सर्च करना कि अपनी id फिर से Activate कर ली हो शायद,..... यहीं मेरी दिनचर्या हैं बस।

हां तुमने पत्र में जिक्र किया है कि अभी अभी तुम फुरसत में हो, कारण भी तो तुमने बता दिया स्कूल कॉलेज बंद, घर के बाहर जाना भी लगभग बंद ही है, घर में बैठे-बैठे अकेली करती भी क्या , ........ इसलिए पत्र ही लिख डाला।

 
PIC- captured by me during the writting of letter, A pigeon sitting on my home's street light(THE MESSANGER)


हां तो, अब मैं अपनी बात पर आता हूं मुझे तो तुम्हारे द्वारा लिखा गया एक लफ्ज भी दुनिया की सर्वोत्तम कृति लगता है, तुमने तो पत्र लिखा है पूरा का पूरा....... पत्र में चाहे जो लिखा हो, उससे हमारा कोई वास्ता ही नही, हां वही तुम्हारी पत्रकार वाले अंदाज़ में, कि फलाने की भैंस ने इतनी दौड़ लगाई कि उसके पीछे दोनों लोग लुगाई ने दौड़कर ओलंपिक का नया रिकॉर्ड बना लिया हो, जमुनी की बकरी ने 2 दिन पहले चट्टान से छलांग लगाकर अपनी एक टाँग तुड़वा ली, शंभूकाका के कारखाना में फसल कटाई के नई बनाई जा रही है.... हालांकि मुझे इन बातों से कोई मतलब नहीं है मगर तुमने लिखी है ना ,लगता है साहित्य में Ph.d करने की ठान ली है......


अब सुनो, प्रकृति ने पिछले कई दिनों से अपने पैंतरे बदल दिए हैं ऐसा लगता है किसी राक्षस ने देवताओं को छेड़ दिया है और अब देवतागण कुपित होकर अपने अस्त्र शस्त्र से प्रहार कर रहे हैं, पता नहीं क्या होने वाला हैं?

हां एक बात तो है, प्रकृति का यह रूप अभी वैसा ही सुंदर, सुरम्य, सुहाना, अतीव रमणीय लगता है,जिसे हर बार, हर बार देखते ही मुझे तुम्हारी याद आ जाती है। तुम्हें याद है ना तुम हवा में अपने हाथों को ऐसे लहराती थी जैसे पेड़ से गिरकर पता हवा में लहराता हुआ जमीं पर आता है, नहाने के बाद तुम बालों को झटकती तो ऐसा लगता था जैसे हवा का कोई झोंका आया और पेड़ की टहनिया इधर उधर हिलने लगी।
चलो, छोड़ो इन बातों को तुम भी पक गई होओगी और सोच रही होओगी कि यह फिर से शुरु गया, हर बार की तरह फिर से क्या करने लगा है? पर क्या करूं मजबूर हूँ, जब भी तुम्हारा ख्याल आता है कलम अपने आप तुम्हारे लिए चल पड़ती है, दिल दिमाग में विचारों का झोंका सा आता है, तुम्हें लिखने बैठ जाता हूँ....... और मैं कर भी तो क्या सकता हूँ ।।

खैर, यह छोड़ो......
तुम बताओ, क्या चल रहा है आजकल? सुना है तुमने अपनी सारी बकरियां बेच दी है ? बेचोगी भी क्यों नहीं अकेली क्या-क्या संभालती!! और इस प्राकृतिक आपदा (मैं इसे मानव निर्मित मानता हूं) में तुम्हारी समस्या और भी बढ़ जाती।।
अब जबकि तुम घर पर हो, प्रकृति ने बाहर कदम न रखने की सख्त हिदायत दे रखी है तो मैं इतना ही कहूंगा अपना ख्याल रखना, हो सके तो बाहर जाने से बचना। पिछले दो चार दिन से दिमाग में बुरे ख्याल से आने लगे हैं कि जाने क्या होगा? प्रकृति के इस प्रकोप से कौन-कौन बच पाएगा, किसकी किस्मत में क्या लिखा है पता नहीं?
मन में यह शंका घर करती है कि तुम जवाब दोगी भी या भी पाओगी (नही, नही ऐसा नही हो सकता ) या तुम्हें अगला पत्र लिखने के लिए मैं यहाँ मौजुद रहूंगा भी या नहीं? यह उस परमपिता के हाथ में हैं, हमें इतनी भी चिंता नहीं करनी चाहिए।
अंत में इतना ही कहूँगा, STAY HOME, STAY SECURE....
.....
PIC- Karan DC writting a letter on the roof of his home..

नैसर्गिक बंधन तो हालाकि पलभर हैं,
                                    टूट जाएंगे आज नहीं तो कल को।।
समाज के बंधनों में जो बंधी हो तुम,
                                  तुमसे काफी है मुलाकात एक पल को।।

प्रकृति का यह रौद्र रूप भी एक दिन समाप्त हो ही जाएगा बस तुम अपना ख्याल रखा।।

                                                                                                With love
                                                                                             Yours
                                                                                             Music
                                                                                             27.3.2020... शुक्रवार

नोट- पत्र में लिखी गई सारी बातें काल्पनिक हैं इनका जीवित या मृत किसी व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है।

@ जांगिड़ करन

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...