Friday 31 July 2015

सफर

गुजरता हुँ मैं जब भी
सुनसान राहों में
कहीं से आ जाती है
कुहुँ की आवाज,
हाँ रूक जाते है कदम मेरे
मैं निहारता हुँ उस
आवाज की तरफ
युँ लगता है
तुमने पुकारा है कहीं से
पर कहीं दिखती तो नहीं तुम
हाँ पर मुझे तो उसमें भी
सुनाई देती है तुम्हारी ही आवाज
हाँ वहीं तुम्हारी सुरीली आवाज
उस वक्त
खो जाता हुँ
उस आवाज में
दूर कहीं पुरानी बातों में
हाँ इन्हीं राहों पे
साथ चलने की कसम खाई थी
हमनें
एक दूसरे का हाथ थामें
सफर पुरा करने की
फिर में अकेला क्यों
अब इन राहों पर हुँ,
हाँ तुमने तो अपने
बंधन आगे कर दिये है,
गिना दी अपनी मजबुरियाँ
हाँ तुम्हारे बंधन
जानता हुँ मैं
पता है इस आवाज से ही
दिल को बहला लेता हुँ मैं
तुम ना सही
तुम्हारी यादें तो है
सफर में मैं तन्हा तो नहीं
हाँ यह सफर अनंत का
तुम्हारी यादों के साथ
©® karan dc

Wednesday 29 July 2015

Dear merle

Once I went to a garden,
I saw a Merle singing.
My ear are to listen,
My heart said bing bing.

When the Merle saw me,
Flew and Came to near.
Ask me a question,
Want you more to hear.

I accepted her proposal,
She sang for me.
After this she ask me,
Who sings better, you or me?

I said you, you, you,
She flew away in sky.
Screamed with joy,
Will meet soon, bye bye.
#karan_dc(27-07-2015)

Tuesday 28 July 2015

A real tribute to dr. Kalaam

#A_real_tribute_to_Kalaam_sir

कौन कहता है कि कलाम चले गये...
वो तो जिंदा है माँ भारती के कण कण में,
वो तो जिंदा है खिलखिलाते बचपन में!
वो तो जिंदा है युवाओं के जोश और ज़ुनून में,
वो तो जिंदा है भारतीय आदर्श और कानून में!!

हाँ कलाम तो जिंदा है गीता के ज्ञान में,
कहो पार्थ फिर से धर्म युद्ध कर पाओगे!
हाँ कलाम तो जिंदा है रामायण की चौपाइयों में,
कहो राम फिर से राम राज्य ला पाओगे!!
हाँ कलाम तो जिंदा है त्रिपिटक ग्रंथों में,
कहो बुद्ध विश्वशांति का संदेश फिर से दे पाओगे!
हाँ कलाम तो जिंदा है अग्नि की उड़ान में,
कहो करन कोई शत्रु आँख दिखाये तो उसकी आँख निकाल पाओगे
#कलाम_सर_को_अर्पित
#जांगिड़_kk

Saturday 25 July 2015

आज भी है

क्यों तेरी खुशबु फ़िजाओं में आज भी है,
क्यों तेरी पायल की छमछम कानों में आज भी है|
तु तो एक बीता हुआ कल है,
क्यों ख्वाबों में तेरी ही तस्वीर आज भी है||

क्यों तेरी जुल्फों की घटा मेरे दिल में आज भी है,
क्यों तेरी वो सादगी मुझे लगती अच्छी आज भी है|
तु तो मजबूर है ना अपने ऊसुलों पे चलने को,
फिर क्यों मुझे तेरा इंतजार आज भी है||

हाँ तेरे ही नाम से धड़कता मेरा दिल आज भी है,
हाँ तेरे ही ख्वाब बुनने का शौक मुझे आज भी है|
हाँ मैनें ही की है मोहब्बत तुमसे 'करन',
ओ चिड़िया तेरी चहचाहट सपनों में आज भी है||
©® jangir karan DC (25-07-2015)

Monday 20 July 2015

माँ सुन रही हो ना

कोई ख्वाब मेरा जिंदा दफऩा देता है यहाँ,
सीने में दर्द तो होता है ना माँ,

मेरी आँखों का समंदर तो सूख चुका है अब,
फिर भी कोई रूला देता है ना माँ,

जिंदा रहने की कोई सूरत ही नहीं दिखती,
फिर भी देख जिंदा रह लेता हुँ ना माँ,

यह जख्म जहाँ का बहुत तकलीफ देता है 'करन',
मुझे अपनी गोद में बुला लो ना माँ!!
©® karan DC  20-07-2015

Friday 17 July 2015

इंतजार

यह मेरे घर के बाहर पायल की झंकार कैसी??
क्या!!! तुम हो!!
क्यों आई हो अब?
तुमने ही तो कहाँ था,
अब तुम्हारे नही है हम!
हाँ फिर भी मैनें तुम्हारा ही इंतजार किया,
आज भी तुम्हारे ही इंतजार में हुँ,
पर जानती हो,
वो समय अब निकल गया!
मैनें कहाँ था तुमसे,
समय रहते लौट आना,
पर तुमने अपनी मजबुरियाँ आगे कर दी,
और अब आई हो!!
नहीं अब रहने भी दो,
यह पायल कि आवाज!
मेरा दिल जलता है इससे!!
घर सुना सुना सा है तुम बिन,
लेकिन अब यह सुनापन भी
ज्यादा अखरता नही है!
हाँ तुम तो खुश हो ना
अपने संसार में!
मैं भी अब ज्यादा उदास नही रहता हुँ,
कभी कभी जब शाम को अकेले में बैठता हुँ,
तो याद आ जाता है वो पल,
हाँ वही पल,
तुमने ही रोका था मेरा रास्ता,
अपनी पायल की झंकार से!
इसी झंकार को सुनते रहने की चाह में,
मैं तुम्हारा इंतजार करता रहा!!
लेकिन तुम्हारे आने की कोई सूरत दिखाई नहीं दी,
मेरी आँखों में भी धीरे धीरे धुंधलापन छाने लगा!!
अब फिर से,
पायल की झंकार!!
नहीं रहने दो अब,
जाओ प्लीज अपनी दुनियाँ में लौट जाओ,
मैं तन्हा था, तन्हा ही जी लुँगा!!
©® karan dc 17-7-2015

Thursday 9 July 2015

तो क्या हर्ज है

फुलों की चाह रखते है यहाँ लोग सभी,
मैं गर काँटों की तमन्ना करूँ, तो क्या हर्ज है!

चाँद भी जा छिपा आज बादलों के पीछे,
मैं जुगनुँ की रोशनी ले चलुँ, तो क्या हर्ज है!

यहाँ हर कोई छुपा हुआ है मुखोटे में,
मैं चेहरा दिखा के चलुँ, तो क्या हर्ज है!

दुनियाँ डरती है आज जिसकी तपन से,
उस सुरज को निगलने चल पडु़ँ, तो क्या हर्ज है!

यहाँ सब डुबे हुए है गम के गीतों में,
मैं 'स्वर' जुनुन का गुनगुनाओं, तो क्या हर्ज है!!
©® karan DC (09-07-2015)

Wednesday 8 July 2015

मिलन

चलो खुद को खुद में बसाया जायें,
जिंदगी से कुछ इस तरह भी मिला जायें!
बिन स्वर अधुरा है हर गीत मेरा,
बेसुर ही सही 'करन' पर कुछ तो गुनगुनाया जायें!!
©® karan (08-07-2015)

Tuesday 7 July 2015

कुुछ शेर

1. मुझे मालुम है कि स्वर दिल की साफ है,
     हो जाये उससे कोई भूल को भी माफ है!
      ऐ मेरे दिल जरा सोच के बता कि,
     तुझमें अभी जो गुंजी वो स्वर की आवाज है!!
                          (13-4-2015)
2. वक्त हुआ ज्युँ धुंधला, बदले सब हालात!
     पर मेरे दिल में है, स्वर तेरी ही याद!!
                           (14-4-2015)
3. आज फिर जमीं पर चाँद उतर आया है,
     यह दिल चाँद की आगोश में समाया है!
                             (8-5-2015)
4. ऐ चाँद तेरी फितरत का तो मुझे पता नहीं,
     पर तेरी चाँदनी की आगोश में सोना अच्छा लगता है!
     जरा मेरे घर की छत पे भी अपनी छटा बिखेर,
     कि अब यह आँगन भी तेरे बिन सुना लगता है!!
                              (29-5-2015)
5. तेरी मोहब्बत का असर मुझपे कुछ युँ हुआ है कि,
     हर पल हर लम्हा 'स्वर' तेरे ही गुंजते है मेरे दिल में!
                               (2-6-2015)

जिद-एक कोशिश

पत्थरों पर फूल उगाने चला हुँ आज,
यह सुरज भी मुझे जलाने चला है आज!
बादलों की आस है ही नही मेरे दिल में,
मैं 'स्वर' जुनुन का ले निकल पड़ा हुँ आज!!
©®karan dc

Friday 3 July 2015

तो समझो जिंदगी है

                                     तो समझो ज़िन्दगी है
         दिल में हो जज्बात, मन में हो उमंग,
         हो होसलों की उड़ान,तो समझो ज़िन्दगी है!

         मानवता से हो प्रेम, भाईचारे की हो भावना
         हो दिल में दयाभाव, तो समझो ज़िन्दगी है!

         देशभक्ति का हो ज़ज्बा, बलिदान की हो भावना ,
         हो तत्पर देशसेवा को, तो समझो ज़िन्दगी है!

         माँ बाप की जो करते हो सेवा, भाई भाई का प्रेम,
         हो परिवार का साथ, तो समझो ज़िन्दगी है !

         कोई चिड़िया नाजुक सी, जिससे बंधन हो खास,
         हो प्यारा स्वर कोई ज़िन्दगी में, तो समझो ज़िन्दगी है 
                          karan_dc(03.07.2015, 1:00pm)

         

Wednesday 1 July 2015

शीतल प्रेम


    मेरे शब्द बंजर धरती से, गीतों से अपने उपजाऊ बना दो तुम,

में बरसो से प्यासा हु, अपनी प्रीत से प्यास बुझा दो तुम!

  ऊषा की शीतल लालिमा सा है नेह तेरा ओ स्वर

छोड़ के भ्रम सारे, मुझको अपना मनमीत बना लो तुम!!
karan_dc(01/07/2015__02:00 pm)

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...