Thursday 21 April 2016

गौरी( दो राजस्थानी दोहे)

1.गौरी  थारा  रूप  ने,  देख  समंदर  आज।
   आपो तो वो खो दियो, उलटा करे जहाज।।
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व्याख्या- प्रस्तुत दोहे में एक आवारा अपनी भोली लेकिन बहुत ही सुंदर प्रेमिका के बारे में बखान करता है। यह पंक्तियाँ तब लिखी गई जब वो आवारा अपनी प्रेमिका को समंदर के बीच से नाव चलाते हुए देखता है।। आवारा अपनी प्रेमिका से कहता है कि ए स्वप्न सुंदरी(गौरी) तुम्हारे को जब आज समुद्र ने पहली बार देखा है तो समुद्र का हाल भी बुरा है, उसके मन की लहरे उत्पन्न हो गई है, फलस्वरूप यह बहुत ही उत्तेजित हो गया है और इसमें तुफान आ गया है, और ये बाकी सब नाविकों की नावें पलट रहा है। यहाँ आवारा का सीधा से अपनी गौरी को संकेत है कि वो अपने रूप का जलवा वहाँ न दिखायें जरा घुँघट निकाल लें, ताकि समुद्र शांत हो जायें।
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Explanation - in this couplet the Madden lover describing about her simple but beautiful partner. These lines are written when the lover saw his partner in the middle of sea with her boat. Now the lover ask to his lover - O dream Queen, when the sea see you for first time today it's mood also has failed. In its heart there waves are created. So it is in so much disturbance. Now there is a huge storm in it. And it is destroying the boats of the voyage. The male lover ask to his partner that she should not show her beauty and should keep her head in veil, so the sea Can calm down.
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2. समंदर आ थु जाण लें, मनड़ो गौरी माय।
    थारा भी  गुण  गाँवुलो, वाने  घर पहुँचाय।।
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व्याख्या- प्रस्तुत दोहो में पागल प्रेमी अपनी प्रेमिका की रक्षा खातिर समुद्र से निवेदन करता है। जब वह देखता है कि समुद्र में तुफान आने लगा है तो वो भयभीत हो जाता है और समु्द्र से तुफान को रोकने की मिन्नत करता है। वह समुद्र से कहता है कि मेरा मन गौरी(प्रेमिका ) में बसा हुआ है, अगर उसे कुछ हुआ तो मेरा जीना मुश्किल हो जायेगा। आगे प्रेमी कहता है कि हे समु्द्र देव ! अगर आप मेरी गौरी को सुरक्षित घर पहुँचा दोगे तो मैं आपके भी गुण गाऊँगा। आपकी महिमा का बखान अपने लफ़्जों में करूँगा।
प्रस्तुत पंक्तियों में पागल के मन में अपनी प्रेमिका के प्रति प्रगाढ़ प्रेम साफ दिखाई देता है।
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Explation- in this couplet the male lover worships to sea for protect his lover. When HE sees storm in the sea he got afraid and pray to God to stop the storm. He tells to God that his heart is with his lover, if there happens anything wrong his lover he can't be alive. Further the lover says that hey God of sea!!! If you take my partner safe at home I will tell the people about you. I will glorify about you in my own words.
In these lines the we can see the true love in the heart of lover.
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©® जाँगीड़ करन KK
21/04/2015_18:30 pm

Friday 15 April 2016

तेरी महफिल

महफिल में भी खुद को तन्हा पाया हुँ।
जाने खुद को किस मोड़ पे ले आया हुँ।।

ये ऊजाले ये चकाचौंध सब बैगाने है,
मैं अंधेरी गुफा में रहता इक साया हुँ।

जरूरतों से बदल जाते है रिश्तों के मायने,
हर मोड़ पर जमाने के लिये आजमाया हुँ।

अहसास खुद के होने का भी नहीं है मुझको,
क्या फिर भी मैं कोई चलती फिरती काया हुँ।

तुमने गौर से देखा नहीं अपने दिल में,
मैं और बस मैं ही तो इसमें छाया हुँ।

और तो मालुम ही नहीं क्या बात है 'करन',
पर सोचुँ तुझे ही और तेरा ही 'स्वर' गाया हुँ।
©® जाँगीड़ करन KK
14/04/2016_20:50 pm

Thursday 14 April 2016

A letter to swar by music 6

डियर स्वर,

हाँ अब यह 212 है। तुम्हें समझ आ गया है कि मैं क्या कहना चाह रहा हुँ। तुम खुद बहुत समझदार हो। यह मेरा तुम्हें लिखा छठा पत्र है, पर तुमने कभी जवाब दिया, पर मेरी तो आदत बन गई है तुम्हें लिखने की!!!
तुम इन्हें शायद पढ़ती भी हो या नहीं, नामालुम???
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खैर,
आज तुम्हें बता रहा हुँ कि अभी मैं वापस उस पोखर के किनारे जो आम का पेड़ है ना वहाँ गया था। घर पे मन नहीं लग रहा था तो थोड़ी देर के लिये ठंडी हवा में आराम करने की सोची!!!
पर वहाँ बैठकर तो मुझे वो सब पुरानी बातें याद आने लगी।
कैसे हम वहाँ पर एकांत में बैठकर गुफ्तगुं किया करते थे।।।
ओह.....
छोड़ो उन्हें वो तो तुम्हें भी मालुम है पर अभी भी देखो मैं वहाँ अकेला हुँ पर तुम्हें महसूस कर सकता हुँ।।
पता है जब मैं वहाँ बैठा था तो पेड़ पर पत्तों की सरसराहट सी हुई, मुझे लगा कि तुम इन पत्तियों के पीछे से झाँक रही हो, बस पास आने से कतरा रही हो शायद।।।
और फिर इन्हीं पत्तों के बीच कुछ फड़फड़ाने की आवाज आई, तुम्हारे होने का पक्का अहसास हो गया, मगर पता है वो एक चिड़िया थी जो उड़ कर दुसरे पेड़ पर जा बैठी।
तुम भी तो चिड़िया हो।।।
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पोखर की और से बहुत ही ठंडी बयार आ रही होती है, पता है वो पल जब तुम अपनी चुनरी के पल्लु से हवा करती थी, बस वहीं अहसास इस बयार से हो गया।
और वैसे ही आँखों में नींद के झौंके आ गये,
पर यह क्या कोई शायद पंछी शायद पोखर के पानी में नहाकर आया और आम की डाली पर बैठकर पंख झिड़कने लगा, जब अर्द्धनिद्रा में यें छीटें मेरे मुँह पर पड़े तो अचानक युँ लगा तुम अभी नहाकर आई हो अपनी गिली जुल्फों को मेरे मुँह पर लाकर झिड़क दिया हो........
कुछ याद आया.........
आयेगा तो सही.....................
मैं फिर पानी को निहारता हुँ, पंछियों की अठखेलियों से इसमें भँवर पड़ते है, इन भँवर को मैं जीवन के भँवर सा सोचकर कुछ ऊलझन सी महसूस करता हुँ कि आखिर क्या हो रहा है?
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अरे देखो तो!!!!!
यें बकरियों का एक झुंड पानी पीने आया है, हाँ मुझे याद आया, तुम भी तुम्हारे गाँव की उस पहाड़ी के आसपास अपनी बकरियाँ चरा रही होगी,
छोड़कर भी तो नहीं आ सकती..........
मजबूर हो ना तुम......
मगर मैं,
मैं आज भी कहीं भी होऊँ तुम्हें सोचता हुँ, तुम्हें ही जीता हुँ, कभी तो तुम अपनी मजबुरियों से ऊपर ऊठकर सोचोगी!
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अपना ख्याल रखना, खासकर उस उस ऊँगली का जिसे सामने करके तुम स्टाइल मारती थी........ ओय्य्य्य!!!!
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फिलहाल इतना ही........
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तुम्हारे इंतजार में.......
संगीत

©® जाँगीड़ करन KK
14/04/2016... 09:45 am

Friday 8 April 2016

तेरा आफताब

तेरी मोहब्बत में चाहे बदनाम सा हो जाऊँ मैं,
जो तु चाँद है अगर आफताब सा हो जाऊँ मैं।

कभी इन्हें तुम ऊलझा के पुकारना तो सही,
जुल्फें तुम्हारी कभी तो खुद सुलझाऊँ मैं।

अजीब से शहर में बसेरा है तेरा ओ चिड़िया,
जब भी सोचुँ तुझे यहाँ गलियों में खो जाऊँ मैं।

एक तेरे नाम से पहचानते है लोग मुझे अब,
तुझे भूलकर क्यों गुमनाम सा हो जाऊँ मैं।

कभी बैठकर नजदीक मेरे तुम देखो तो सही,
स्वर तेरा ही हरदम प्यार से अब गुनगुनाऊँ मैं।

©® जाँगीड़ करन KK
08/04/2016__10:50 AM

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...