और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Wednesday 1 July 2015
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Alone boy 31
मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...
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Dear swar, इधर कई दिनों से एक घटनाक्रम की नींव तैयार हो रही थी, मुझे मालूम था कि यह होना है और होना जरूरी भी था क्योंकि वक्त के साथ कुछ बदल...
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बिन उसके उस पर एतबार कर लुँ, बंद आंखों से उसका दीदार कर लुँ। सासों का लश्कर बोलता है जहां तो, धड़कनों का तुझसे इकरार कर लुँ।। इक बार गर ...
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जब भी होता हूँ सफ़र में, दिल में कोई सफर चलता है। सफ़र उस राह तक का सफ़र उस रात तक का जिस रोज तुमने पहनी थी चूड़ी सफ़र खनकती बाँह तक का, क...
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