Sunday 31 December 2017

नया साल मुबारक हो

मैं
पल की गिनती
नहीं करता
बल्कि
हर पल में
आई
तेरी याद को गिनता हूं।
.......
मैं
मिनटों की गिनती
नहीं करता
बल्कि
हर मिनट में
धड़कनों की
बढ़ती
तादाद गिनता हूं।
..........
मैं
घंटों की गिनती भी
नहीं करता
बल्कि
हर घंटे हवाओं के
बदलते
रुख को गिनता हूं।
............
मैं
दिन या रात की
गिनती
नहीं करता
बल्कि
हर दिन के
साथ
बढ़ती
मेरी बैचेनियों को
गिनता हूं।
............
मैं
किसी सप्ताह की
भी
गिनती नहीं करता
गिनता हूं तो
सप्ताह भर के
तेरे अहसासों को
जो तुमने भी कैद
कर रखें है
दिल के
किसी कोने में।
............
मैं
महीनों की
गिनती नहीं करता
बस
हर महीने के
तुम्हारे नाम
के पन्नों पर से
तुम्हारा नाम
गिनता हूं या
आंखों में आई
तेरी सूरत
के
परिणाम गिनता हूं।
..........
मैं
साल भी नहीं गिनता
साल भर में
उड़ते परिंदों के
परों से
आती ठंडी हवा
की आवृत्ति
गिनता हूं
या किसी परिंदे के
नहाने से उछली
पानी की बूंदें गिन
लेता हूं।
............
बस
गिनता हूं तो
मैं
दशक
गिनता हूं
कि
अगले दशक में
तुम शायद
गिन पाओ
मेरी अहसास
मेरी धड़कन की आवृत्ति
मेरे आंखों में बसी तेरी तस्वीर
के रंग भी
मेरी जूबान पर
आये तुम्हारे नामों को
गिन पाओगी
उन तमाम
किस्सों को
जो तुम बिन बस
अधुरे हैं......
हां,
मेरी जान
मैं साल नहीं गिनता
मगर तुम
साल नया मुबारक हो।

©® जांगिड़ करन kk
31_12_2017____17:00PM

3 comments:

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