Monday 23 November 2015

A letter to swar by music

Dear swar,

कल रात को तुम्हारा खत मिला! हाँ, वास्तव में मिला। मैनें रात को एक ख्वाब देखा कि तुमने मुझे कोई खत लिखा हो। खत में तुमने यहीं पूछा ना कि मैं कैसा हुँ??
लो मैं तुम्हें खत लिखने बैठ गया हुँ नींद जागते ही।
वैसे तुम्हें मालुम होना चाहिये था कि मैं कैसा हुँ जिस हाल के लिये तुमने ठीक वैसा ही हुँ, और कुछ लिखने की जरूरत नहीं है शायद!!
खैर! मेरी चिंता छोड़ो, तुम सुनाओ! सुना है आजकल उदास रहती हो! पर क्यों?
दूर रहने का फैसला तुम्हारा था तो तुम उदास क्यों हो!
मैनें तो पहले ही कहा था कि अपनी उदासियाँ मुझे दे दो। पर तुमने मेरी कहाँ मानी, अब तुम उदास हो, यह अच्छी बात नहीं है! आओ यहाँ पर आओ, तुम्हारी उदासियाँ दूर कर दुँ, अगर दूर नहीं हो सकीं तो तेरे साथ मैं भी थोड़ा सुबक लुँगा, बाकी अकेले में ही रोता हुँ!!
और देखो वक्त भी न जाने कैसे निकलता ही जा रहा है।

कभी कभी युँ लगता है कि यह जीवन ही बेकार है, पर जब तुम्हारी प्यारी मुस्कान याद आती है तो हर दुख दर्द भूल जाता हुँ। फिर से चलने लगता हुँ समय की गति के साथ। न जानें किन खुशियों की तलाश में चलता हुँ,
बस इतना पता है कि चलता हुँ।
लेकिन जानती हो कभी कभी तो बहुत ही ज्यादा निराशा छा जाती है। उस समय तुम बहुत याद आती हो। सोचता हुँ उस वक्त कि अगर तु साथ होती तो तेरे कंधे पे सर रख कर रो लेता, मन का बोझ हल्का हो जाता।
याद है तुम्हें कि मैनें कहा था कि अगर तु साथ है तो फिर मैं दुनियाँ से जीत सकता हुँ।
पर तुम यहाँ कहाँ हो! बस तुमिहारी याद में कुछ आँसु बहा लेता हुँ खुद अकेले में

"तकदीर में आँसु बहाना ही लिखा है मेरे,
मैं होता कौन हुँ इन्हें रोकने वाला।।""

खैर,
तुम चिंता न करो।
अरे हाँ तुम जानती हो ना, वो तारीख निकल गई, जिसके लिये तुमने बोला था।
ओफ्फ हो, मैं भी कितना बुद्धु हुँ, जिसे मैं याद नहीं आता तारीख भला क्या याद रखेगी वो।।

तुमने मुझे कभी बताया नहीं कि कैसे निकलते है तुम्हारे दिन, इसलिये मैं नहीं जानता!
पर मैं बता दुँ कि मैं आज भी वैसे ही दिन गुजार रहा हुँ जिस हाल तुम छोड़कर गई हो!
बेबस!!
तन्हा!!
फिर भी हर वक्त चेहरे पे मुस्कान लिये चलता हुँ।
हर रोज कई लोगों से मिलता हुँ पर फिर भी तन्हा रहता हुँ।
अरे हाँ।।
हर रोज सुबह सुबह जब चिड़ियों की चहचाहट के बीच तुम्हारी आवाज आती है ना, मैं खिड़की में बैठकर उस आवाज को ही सुनता हुँ,
लगता है जैसे तुम कहीं से पुकार रही हो।
इस चक्कर में अक्सर मैं लेट हो जाता हुँ ऑफिस के लिये!
।।।।।
और देखो सर्दी बढ़ गई है अपना ख्याल रखना,
और विशेषकर अपनी नाक का,
कहीं फिर नाक को बार बार सिकौंड़ना न पड़े।
और ख्याल न रख पाओ तो यहाँ आ जाना, मैं रख लुँगा तुम्हारा ख्याल!!
और मैं इसी इंतजार में हुँ कि कब तुम आओगी?
तुम जानती हो मैं तो वो संगीत हुँ जो सिर्फ तुम्हारे स्वर से बजता है।
बजता रहेगा।
बस इतनी सी गुजारिश है तुम से मेरे हारने स् पहले लौट आना।
क्योंकि मैं अगर हारा तुम भी हार जाओगी।

"कभी गौर से सुनो जो संगीत मेरा,
तुम्हें सुनाई देगा इसमें सिर्फ स्वर तेरा"

तुम्हारे इंतजार में
संगीत(सिर्फ तुम्हारा)

©®karan_DC(23/11/2015___5:30am)

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