Saturday 21 November 2015

यह कैसा इश्क है!!!

मेरे दिन का ख्वाब तुम हो,
मेरी रातों की नींदेंतुम हो!
महफिल में तन्हाई तुम हो,
तन्हाई में महफिल तुम हो!!

चाँदनी सी श्वेत धवल तुम हो,
सुरज सी उज्जवल तुम हो!
किसी अंधियारी रात में,
जुगनुँ की रोशनी सी तुम हो!!

मेरी राह में ठण्डी छाँव सी तुम हो,
सर्दी में गुनगुनी धूप सी तुम हो!
जिन यादों की बूँद से मैं भीग जाऊँ,
यादों की वो भीनी सी बारिश तुम हो!!

मेरी जिंदगी का हर राग तुम हो,
मेरी ताल तुम, मेरी लय भी तुम हो!
मैं तो दर्द का इक नगमा हुँ 'करन',
इसकी धड़कन का 'स्वर' तुम हो!!

©® करन जाँगीड़ KK

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