Thursday 29 June 2017

Alone boy 23

फूल
यूं तो
हरपल ही
मुस्कुराते हैं,
मगर
सावन में थोड़ा
ज्यादा ही
खिलखिलाते है,
मौसम की खुमारी
इन पर
कुछ ऐसी ही
छाई
जो रहती है....
मगर
फूल
अक्सर
टूटने से
मुरझा जाते हैं,
या फिर
मौसम की
बेरूखी से
उदास से
नजर आते हैं।
हम इंसानों का
भी कुछ
यही
तो हाल होता है,
इक खिलखिलाते
चेहरे को
अक्सर कोई
लफ्जों से
उदास कर देता है,
वो बात और है कि
हम तब भी
बाहर
मुस्कुराते हैं,
मगर दिल
मालूम सबको
है
दिल
कितना
उदास रहता है,
जब
कोई
छोड़ जाता है।।
©® Karan kk
29_06_2017

No comments:

Post a Comment

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...