Monday 21 August 2017

A letter to swar by music 35

Dear swar,
......................
रंगों से भरी है दुनिया
रंग ही जीवन
रंग ही खुशी
रंग से चलती है सौगातें
रंग हर जुबां की भाषा
..........
सुनो,
यह धरती जब से बनी है तब से यहां पर रंगों का अपना महत्त्व रहा हैं, गर्म लावे से उबलती धरती का लाल रंग भी किसी को भाया होगा लेकिन पता है फिर किसी को शायद यह रंग अच्छा न लगा उसे अपनी पसंद का रंग चाहिए था तो उसने धरती का रंग ही बदलने की ठान ली और यही से तो शुरुआत हुई थी जीवन की.......
हां,
पता नहीं मैं तो नहीं जानता पर कई हजारों पहले किसी अलौकिक शक्ति ने, धरती के इस लाल उबलते रंग से ही धरती पर पानी की कवायद शुरू की और फिर महासागरों का निर्माण किया जो आज हमें नीले सफेद रंग में लुभाते हैं....
और सुनो,
इसी लाल लावे से बनी धरती से निर्माण हुआ पीले और काले पर्वत और पहाड़ों का जो हमें अक्सर अपनी ओर खींचते हुए से लगते हैं.....
और देखो, पहाड़ों से निकलती सफेद नदी कितनी लुभावनी सी लगती है इतनी साफ की इसके नीचे के काले पत्थर पानी के उस पार साफ दिखाई देते हैं....
और सुनो,
इसी के साथ प्रकृति ने शुरू की अपने रंग बिरंगे पेड़ पौधों फल फुलों की सौगात, न जाने कितने रंग समेटे हुए है यह प्रकृति......
मालूम है ना,
जब सर्वप्रथम मनुष्य का जन्म हुआ होगा तब प्रकृति के रंगों का उसे भान नहीं रहा होगा वो हर पल उदास रहा होगा पर ज्यों ज्यों उसने इन रंगों को देखा और समझा उसके जीवन में खुशियों की शुरुआत हुई होगी.....
और फिर......
आज जिसे देखकर मैं सबसे ज्यादा खुश होता हूं उस रंग का अस्तित्व भी आया, आया क्या वो तो पहले से था पर लोगों की नजर में आया....
हां... वो नीला आसमान, नीले से थोड़ा हल्का सा, है ना... तुम्हें काफी पसंद है वो रंग.....
तुम्हें मालूम हो कि मैं अक्सर इस नीले आसमान को देखता रहता हूं इस आसमान में बनती बिगड़ती आकृतियों को देखता हूं। देखता हूं तुम्हारा रूप आसमान के इस नीले रंग के नीचे तैरते सफेद बादलों के बीच....
तुम इस आसमानी रंग में ही नजर आती हो और दुसरे पल गायब....
कभी किसी गाड़ी पर सवार,
कभी तेज धावक सी भागती हुई,
कभी रण में लड़ते किसी योद्धा सी लगती हो,
तो कभी किसी राजकुमारी सी.......
मैं देखता हूं तुम्हारे हर रूप को आसमान में और देखता रहता हूं उस समय तक भी जब तक की आसमान में काले बादल न छा जायें और रिमझिम बारिश शुरू न जायें...
और फिर मालूम है ना जब पानी बरसता है तो प्रकृति अपनी छटा बिखेरती है, हरे पत्ते, कई रंगों के फूल.....
हां,
कहीं गुलाब के से गुलाबी फूल भी तो खिलते हैं.....
तुम्हें मालूम है ना मुझे गुलाबी रंग बहुत पसंद हैं.... मैं अक्सर ढूंढ लेता हूं इस रंग में रंगी वस्तु को वो चाहे पेन ही क्यों न हो.....
अरे हां,
पेन से याद आया....
दोनों पेन आज भी जेब में साथ ही रखता हूं जानती हो ना बात पेन की नहीं बात रंगों की है आसमानी और गुलाबी रंग की....
और मेरी जिंदगी तो अब रंगों का खेल मात्र रह गई है....
कभी सफेद तो कभी काला.....
और सुनो जान,
अक्सर मैं रात के काले अंधेरे में आंखों से आसमान की ओर ताकता हूं, मुझे मालूम है वहां भी रंग काला ही है मगर मेरी आंखें देख लेती है एक साथ कई रंग इस काले आसमान में भी.....
देखो जान,
मैं जब आंखें बंद करता हूं ना रात में तो मुझे मेरी जिंदगी बहुत ही खिलखिलाती हुई और रंगीन नजर आती है....
हरे घास के मैदान, पीले पीले फूल,रंग बिरंगी तितलियां, काली पीली बकरियां, पानी के किनारे अटखेलियां करता हुआ सफेद सारस का जोड़ा, उपर नीला आसमान और.......
सामने से तुम सभी रंगों को समेटे भागती हुई आ रही हो जैसे....
हां,
नीली आंखें, थोड़े कम काले केश, वहीं गुलाबी जूड़ा, हाथों में हरे कंगन, साड़ी के किनारे पर सूरज की चमक सी पीली बॉर्डर, आसमान को अपनी ललाट पर बिंदिया के रूप में सजायें हुए और फिर भागते हुए ही अपने हाथों से पानी को उछाल कर बनाती सफेद धाराएं......
शायद तुम्हारे पीछे आसमान में इसलिए ही तो इंद्रधनुष बना हुआ दिख रहा है मुझे....
.......
रंग बिरंगी धरती पर
कितने रंग और बनें....
तेरी मुस्कुराहट से,
सब रंग चहुं ओर बनें।।
........
खिलें हुए चेहरे से
रंगों की बरसात हुई.....
अक्सर ऐसे मौकों पर,
जज़्बातों के पैबंद बनें।।
........
सुनो जान,
मैं जानता हूं कि.........
चलो अब जानें भी दो कहने से भी कोई मतलब तो नहीं है.....
बस....
काफी है...
हां,
जिंदगी अब भी यहां बेरंग है.....
तुम इंद्रधनुष बन आ जाना....
.....
With love
Yours
Music

©® jangir Karan DC
20_08_2017___10:00AM

फोटो खुद ही अलग अलग जगह और समय पर खींचे हैं....
1. स्वर
2. पेन (बात रंगों की है)
3. स्कार्फ (बांधना नहीं आता पर बात रंगों की है)
4.शर्ट(बात रंगों की है)
5. शर्ट(पहला सेलेक्शन रंग से)
6. टी-शर्ट+पेन(बात वहीं है)

No comments:

Post a Comment

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...