Wednesday 9 August 2017

A letter to swar by music 33

Dear swar,

Whether I deserve something but didn't get it.
........
आसान राहें चुनी ही नहीं मैंने,
दोष किसको दूं जो थक गया हूं।
.........
तुम्हें शायद यह मालुम नहीं है कि मैं बचपन से ही जिंदगी से दो दो हाथ करता आया हूं, जिंदगी हर वक्त मेरी राहों में कुछ न कुछ अड़चन डालने को उद्धत रहती है। पता नहीं क्यों इसे मेरे से इतनी जलन होती है, मैंने तो कोई ऐसा महान काम किया नहीं जो यह मुझसे जलें.... मगर इसकी फितरत तो देखो, एक मासूम से बच्चे को सताना शुरू किया था इसने आज तक भी यह क्रम जारी है..... बचपन में ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि दोस्तों के संग समय निकल जाता था और इतनी समझ भी नहीं थी कि दुखों से जीवन पर असर कोई असर पड़ता, लेकिन धीरे-धीरे समझदारी बढ़ती गई वैसे वैसे ये घटनाएं दुखों का पहाड़ बनती गई। और देखो ना, मैं किसी भी तरह हर बुरे वक्त में मुस्कुरा देता हूं पर अगली बार फिर उससे ज्यादा गहरा घाव देती है जिंदगी........
..........
फक़त इश्क से ही निपटना होता तो कोई बात नहीं,
जिंदगी ने हर कदम इक नई जंग से रूबरू कराया है।
..........
सुनो,
कभी कभी थक सा जाता हूं, इतना ज्यादा कि पता ही नहीं चलता कि मैं कहां हूं और क्यों हूं? किस दिशा में हूं?
एक बात सुनो, कभी कभी अकेले में मेरे चीखने की आवाज भी मेरे कान बेंध देती है फिर कई कई दिनों तक वहीं आवाज बजती है कानों में..... मैं खुद से डरने लगा हूं अकेले बैठने पर जैसे वक्त मुझे काटने को दौड़ता है पर बात यह भी है कि यह दर्द सुनाऊं भी किसको? और कौन सुनेगा?
और हां, कोई इलाज नहीं है मेरे साथ होने वाली इस बदनसीबी का, कोई कुछ नहीं कर सकता तो सुना कर भी क्या करूं?
और उल्टा सबको परेशान करना है?!!
सुनो जान,
मैं बस वक्त की इस बेरहमी पर अकेले में बैठकर चुपचाप अश्रु बहा लेता हूं और आंखें सूख जाने पर ही सबके सामने आ पाता हूं,
जानती हो क्यों?
क्योंकि उन सबके सवालों के जवाब नहीं दे पाता हूं मैं, मुझे मालूम है कि देर सबेर सबको मालूम होना है पर अभी तो...............
......
देखो,
मैं जानता हूं कि तुम्हारे अपने सपने हैं, तुम्हारी अपनी मजबूरियां हैं मगर.......
तुम यह जान लो कि मैं वक्त की इस बेरहम चाल से छलने वाला हूं, उस वक्त मेरी स्थिति क्या होनी है मैं नहीं जानता,
मगर इतना जानता हूं,
मुझे उस समय सबसे ज्यादा जरूरत तुम्हारी होगी,
हां मेरी जान,
मैं उस वक्त सिर्फ तुम्हारे कंधे पर सर रखकर थोड़ा रो सकूंगा, तुम साथ रहोगी तो मेरे थके कदमों में कुछ जान आयेगी, तुम्हारे होने से मुझे यूं लगेगा कि आगे जिंदगी में कुछ बाकी है....
सुनो ना!!!
तुम्हें उस वक्त आना है,
हर हाल में आना है,
क्योंकि,
मैं वक्त की चाल नहीं बदल सकता मगर तेरा साथ पाकर चलने की कोशिश तो कर ही सकता हूं, मुस्कुराने भर की कोशिश तो कर सकता हूं....
सुनो......
.....
वक्त जब छलने आये,
किस्मत को बदलने आये,
तुम मुस्कान लिए अपनी.....
इसको ठेंगा दिखा देना,
मेरी जीत की राह सजा देना.........
.....
मंजूर मुझे नहीं हां यह भी,
किस्मत पर मगर जोर कहां?
बात यहीं कि सहना है,
यहीं दर्द फिर ओर कहां?
तुम आकर वक्त को बता देना...........
..................
I know the stumping time. But I can't do anything to stop it or to win the game before stumping. It's not my fault but really I am in a bond of time, the bond of nature.
Only can see the game with wet eyes, with trembling lips....
You know.........
I will wait for you on the time to discover my world....
.........
With love....
Yours
Music

©® जांगिड़ करन kk
08_08_2017__12:00PM

No comments:

Post a Comment

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...