Tuesday 6 December 2016

ऊजाले का स्वर

अंधियारी रात के बाद,
तारों की बारात के बाद,
उजाले ने
पैर अपने
पसारे है
तुमने
घुँघट जरा
हटाया है शायद.....

किसी छोर से,
कहीं ओर से,
आवाज आती है,
खनक की,
कि पनघट पर,
तुमने
कदम अपने
रख दिये है शायद......

कहीं दूर से,
उस सदूर से,
हवाएँ,
लेकर आई है,
खुशबु की सौगात,
कहीं तुम में,
जुल्फें अपनी
बिखेर दी है शायद......

किसी पेड़ पर,
या खेत की मेड़ पर,
चिड़िया भी
चहकी है अब,
तुमने स्वर
अपना
उनको
सुना दिया है शायद.......

©® जाँगीड़ करन kk
06/12/2016___6:30AM

फोटो साभार इंटरनेट

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