Wednesday 14 June 2017

A letter to swar by music 28

Dear SWAR,

इंसान तुम भी हो इंसान हूं मैं भी,
सफर में तुम हो सफर में हूं मैं भी।
कभी तन्हा कभी महफ़िल में रहा,
चाहत तुम्हें है तो चाहता हूं मैं भी।।
....................
तुम एक हमेशा से जानती ही हो ना कि मुझे बस तुम्हारी चहचहाहट ही सबसे ज्यादा रास आती है, कई दफा तुमने इस बात पर गौर किया होगा कि बिना बात भी तुमसे कुछ न कुछ सुनता रहना चाहता रहा हूं, और एक बात है तुम्हारी आवाज़ का तो जादू ही ऐसा है कि मैं हरपल खुद को तुम्हारी ओर खींचा हुआ महसूस करता हूं।
तुम यह सब जानती हो ना, फिर भी न जानें क्यों तुम मुझे तन्हा छोड़ जाती हो.............
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
सुनो,
मैं अभी पिछले कुछ दिनों में सफर में था, जिंदगी से कुछ कटा कटा सा महसूस कर रहा था खुद को तो फिर से खुद को जिंदगी के करीब लाने के लिए यह जरूरी था......
।।।।।।
जिंदगी के सफर की थकान मिटाने,
उदास  मन को  थोड़ा सा बहलाने।
निकला घर से कोई परदेश को जाने,
लेकिन मन का वो कैसे बदलें ठिकाने।।
।।।।।।।
और, सफर में एक दिन हमने समंदर से मुलाकात का भी कार्यक्रम रखा, समंदर को देखकर एक बात तो सीधे समझ आ गई कि आप जितना धैर्य रखते हैं उतनी ही आपकी गरिमा बढ़ती है लेकिन इस को कुछ लोग नहीं समझते है वो उस धैर्य को कायरता मान बैठते हैं....
वैसे समंदर तट पर टहलते हुए हमें एक बात और पता चली है कि आप जितना नरमी से कदम बढ़ायेंगे रिश्तों में उतनी​ही सरलता आती है, एक कठोर कदम रिश्तों में बेरूखी पैदा करता है। उस रेत पर बने मेरे पांवों के निशान मुझे कुछ यहीं सीखा रहे थे कि तुम जिस तरह मुझ पर कदम रखते हो मैं तुम्हारे सामने वैसी ही पेश आती है और यही रिश्तों में भी होता है......
और सुनो जाना.....
वहां कुछ साथी अपने किसी पार्टनर का नाम समंदर की रेत पर लिख रहे थे और फोटो खींच रहे थे, एकबारगी तो मैंने सोचा कि मैं भी लिखु तुम्हारा नाम उस समंदर किनारे और लहरों को चुनौती दूं कि आकर मिटा के दिखायें मगर दूसरे ही पल यह ख्याल आया कि जिसका नाम दिल की गहराई में छपा है उसका नाम यहां लिखने की क्या जरूरत है हां, चुनौती तो मैं वक्त को देता हूं कि अपने दम पर मेरे दिल से तुम्हारा नाम मिटाकर तो दिखायें, यह वक्त के बस में नहीं जाना..... तुम जानती हो ना।
और सुनो,
समंदर शांत था उतना ही शांत जितना कि आजकल तुम हो। मगर जानता हूं मैं यह खामोशी संकेत है, आने वाले तुफान का, किसी सुनामी का, समंदर के तुफान का तो क्या पता मगर तेरी चहचहाहट की सुनामी का मालूम है कि क्या कर देने वाली है। समंदर का तो अपना एक नियम सा है कि कब सुनामी आयें या कब ज्वार भाटा आयें, पर तुम्हारे मन की तुम ही जानो, जानें किस वक्त तुम अपने मन में आई याद रूपी सुनामी को लेकर आ जाओ तो मैं सोच नहीं सकता कि कितनी बड़ी हलचल हो जानी है यहां, मगर यह कोई नुक्सान नहीं करती यही हलचल तो मैं चाहता हूं, दिल की धड़कन का तेज होना, आंखों में सूरज की रोशनी सी चमक, चेहरे पर क्या हाव-भाव आने जाने है इसकी कल्पना करना मेरे बस में भी नहीं है,
बस समंदर किनारे बैठकर यहीं सोच रहा था इस खामोश समंदर में उठने वाली लहर सी कभी तुम्हारे मन में भी एक बार फिर आ जायें...... और मैं जानता हूं एक न दिन यह होना ही है....
फिलहाल तो तुम्हारे जवाब के इंतजार में तुम्हें गुनगुनाता हुआ मैं.....
यानि
सिर्फ तुम्हारा
MUSIC

©® जांगिड़ करन kk
14_06_2017___10:00AM

6 comments:

  1. यह बिल्कुल सही कहा आपने कि जिसका नाम रग रग में उसका नाम रेत पर क्या लिखना..

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी।।
      यही तो बात है

      Delete
  2. वाह..
    कितनी सरलता से आपने रिश्तों की परिभाषा समझा दी..
    गज़ब.. शानदार.. बहुत खूब..
    ~ " आप जितना नरमी से कदम
    बढ़ायेंगे रिश्तों में उतनी​ही सरलता
    आती है, एक कठोर कदम रिश्तों में
    बेरूखी पैदा करता है। "

    ReplyDelete
  3. हां जी।
    विनम्रता हर रिश्ते की जान होती है

    ReplyDelete

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...