आज सुबह,
उठकर उसने
किताब के पन्ने
पलटे
हां, कुछ
लिखा हुआ तो
था ही
उसने समझने
की कोशिश भी की
मगर उसे
हर शब्द कुछ
घूमता हुआ लगा,
और घूम घूम कर
चिड़ा रहे हो उसे
कि
जिसकी सोच में
डूबा है तू,
कभी खबर तो
लें
कि वो भी
तेरी याद में
खोती है या नहीं।।
मगर वो लड़का
पागल है शायद
बस हँस देता है और कहता है
मेरी किस्मत में
उसकी याद में
डूबना लिखा है,
मैं यह कर तो रहा हुँ,
उसकी किस्मत में होगा
वो कर लेगी,
हाँ, उसका मन अब
किताब में नहीं लगता
वो बस
कॉपी पेन
लेकर
फिर उसको
लिखने बैठ
जाता है,
जो कि बर्फ की तरह
कठोर हुई
जाती है,
और
प्रेम की अग्नि
का असर
भी
नहीं होता
उस पर...
पता नहीं
यह पागलपन
क्यों करता है वो?
©® जाँगीड़ करन kk
15_03_2017___6:30AM
और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Wednesday 15 March 2017
Alone boy 9
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